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________________ जनविद्या 95. 5. डॉ. (श्रीमती) ज्योति जैन–एम. ए., पीएच. डी.। इस अंक में प्रकाशित रचना करकण्डुचरित विषयक जैन साहित्य की सहयोगी लेखिका । सम्पर्क सूत्र-14, मिठ्ठलाल खतौली-251207, उ. प्र. । 6. डॉ. (श्रीमती) पुष्पलता जैन–एम. ए. (हिन्दी व भाषा विज्ञान), पीएच. डी. (हिन्दी व भाषा विज्ञान) । लेखिका । प्रवक्ता, एस. एफ. एस. कालेज, नागपुर । इस अंक में प्रकाशित रचना-करकण्डचरिउ और पद्मावत का शिल्प-विधान । सम्पर्क सूत्र-न्यू एक्स टेंशन, सदर, नागपुर, महाराष्ट्र । 7. ग. भागचन्द्र भास्कर-एम. ए., पीएच. डी., डी. लिट., साहित्याचार्य । पालि-प्राकृत भाषा के विशेषज्ञ । अध्यक्ष, पालि-प्राकृत विभाग, नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर । इस अंक में प्रकाशित रचना-करकण्डचरिउ में प्रतिपादित इतिहास व संस्कृति । सम्पर्क सूत्र-न्यू एक्सटेंशन, सदर, नागपुर, महाराष्ट्र । ग. महेन्द्र सागर प्रचण्डिया-एम. ए., पीएच. डी., डी. लिट., साहित्यालंकार, विद्यावारिधि । कुशल वक्ता, लेखक एवं सम्पादक । शैक्षणिक, सामाजिक एवं धार्मिक रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न । मानद संचालक-जैन शोध अकादमी, अलीगढ़ । इस अंक में प्रकाशित रचना-करकण्डचरिउ का काव्यशास्त्रीय मूल्यांकन । सम्पर्क सूत्र- . मंगलकलश, 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड, अलीगढ़-202001, उ. प्र. । 9. डॉ. सूर्यनारायण द्विवेदी-एम. ए., पीएच. डी. । रीडर, हिन्दी विभाग, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी । इस अंक में प्रकाशित रचना-करकण्डचरिउ की अध्यात्मचेतना । सम्पर्क सूत्र-हिन्दी विभाग, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी-51
SR No.524757
Book TitleJain Vidya 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size11 MB
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