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जैन विद्या
7. शास्त्री नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, चतुर्थ भाग पृ. 132 1
8. एयारह तेवीसा वाससया विक्कमस्स णरवइणो । जया गया हु तइया समारिणयं सुंदरं कव्वं ॥ कण्णणरिदंहो रज्जेस हो सिरिसिरिमालपुरम्मि | बुहसिरिचंदे एउ किउ णंदउ कव्वु जयम्मि ||
- दंसणकहरयणकरंडु, प्रशस्तिपद्य 1, 2
9. कथाकोश, प्रस्तावना, पृ. 36, शास्त्री डॉ. नेमिचन्द्र, सम्पादक - उपाध्ये डॉ. ए. एन., भारतीय ज्ञानपीठ (भा. दि. जैन ग्रन्थमाला ) 1974 |
10. (i) जैन महेन्द्रकुमार, प्रमेयकमलमार्तण्ड एवं न्यायकुमुदचन्द्र की भूमिका ।
(ii) शास्त्री नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, भाग - 3, g. 50-51 1
11. कथाकोश, अन्त्यपुष्पिका, पृ. 147 ।
12. कथाकोश, 23वीं कथा, पृ. 41-43
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13. (i) मुमुक्षु रामचन्द्र, पुण्याश्रवकथाकोश, शोलापुर, 1964 प्रशस्तिपत्र 1-2 | (ii) डॉ. जयकुमार, पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 20 ।
14. शास्त्री डॉ. नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, भाग 4, पृ. 70
15. रावजी सखाराम दोशी, सोलापुर, वी. नि. सं. 2455।
16. भट्टारक सम्प्रदाय, पृ. 158 ।
17. जैन डॉ. जयकुमार, पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 27
18. सम्पादक - जैन डॉ. हीरालाल,
19,70 I
भारतीय ज्ञानपीठ (भारतीय दि. जैन ग्रन्थमाला),
19. सुदर्शनचरित, 12.47-51 ।
20. जैन सिद्धान्त भास्कर, अंक 17, पृ. 51 ।
21. सुदर्शन चरित प्रस्तावना, पृ. 13-17 ।
22. शास्त्री नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, भाग 3, पृ. 405
23. चौधरी डॉ. गुलाबचन्द्र, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 6, पृ. 199 ।
24. जैन डॉ. जयकुमार, पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 28
25. जैन डॉ. राजाराम, महाकवि रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, पृ. 120 । 26. शास्त्री डॉ. नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, भाग 4, g. 3201