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________________ 56 जैनविद्या वीर रस के प्रवाह की स्थिति में परुष वचनों की अभिव्यक्ति के माध्यम से क्रोध और युद्ध में प्रदर्शित जुगुप्सा भाव निरन्तर पल्लवित होते रहते हैं । अतः रौद्र और वीभत्स रस, वीर रस के निकटस्थ सहयोगी हैं । जम्बूकुमार के दर्प-पूर्ण वचनों को सुनकर खेचर की मन:स्थिति ऐसी दिखती है मानो रौद्र रस मानवीकृत रूप में हो। खेचर अधिकाधिक रोष से काँपता उठा, उसका कण्ठ स्तब्ध हो गया, शिराजाल प्रदीप्त हो उठा । उसके विशाल कपोल प्रस्वेदसिक्त हो गये । टेढी भौहें, मस्तक की सलवटें, आरक्त नेत्र, अपने ही दांतो से काटे गये अधर -~-सब में बर्बर क्रोध झांकने लग गया - जिह जिह दंडकरंबिउ जंपइ, तिह तिह खेयर रोसहि कंपइ। थड्ढकंठ- सिरजालु पलित्तउ, चंडगंडपासेयपसित्तउ बट्ठाहरु गुंजुज्जललोयणु, फुरहुरंतनासउडभयावणु पेक्खवि पहु सरोस सन्नाहि, वृत्तु वोहरु मंतिहिं ताम हि । 5.13.9-12 भीषण युद्ध के परिणामस्वरूप बहती हुई शोणित-नदी और उसमें विद्यमान मथा हुमा मांस और वसा न चाहते हुए भी मानव को सभ्यता के विभिन्न चरणों में अनिवार्यतः देखने पड़ते हैं । मांस पिण्डों पर मक्खियों का भिनभिनाना तथा शृगाल, चील और गिद्धों का मंडराना मन में वितृष्णा और ग्लानि जागृत कर देता है । अगर कोई खुश हैं तो वे हैं भूत, पिशाच, वेताल और डाकनियां-जिनकी वर्षों संजोई गई चाह इन्हीं दिनों पूरी होती है - रुहिरनइसोत्ते छत्तइं तरंति, मस्थिक्कमास वसवह झरंति । संतित्तचित्त भूयइ रमन्ति , डाइणि वेयाल सयई कमंति । सिव-धार गिद्ध वायस भमंति, मच्छियसंघायई छमछमंति ॥ 7.1.10-12 जम्बूस्वामी और उनके पूर्वभवी रूप भवदेव तथा शिवकुमार के विरक्तिपूर्ण प्रसंगों एवं जम्बूस्वामी और विद्युच्चर के कथात्मक संवादों में 'निर्वेद' पर्याप्त मात्रा में उभरा है फिर भी शृंगार और वीर रसों के समान प्रभावकारी नहीं बन सका। अपने यौवनकाल की चरम सुन्दरी भवदेव की विवाहिता नागवसु प्रौढावस्था में ही कितनी जर्जरित हो गई है ? उसके सुन्दर रूप की याद में तड़पते हुए भवदेव का जब उससे साक्षात्कार हुआ तो यकायक रूप की इस क्षणिकता के विचार से उसे कितना झटका लगा होगा -
SR No.524755
Book TitleJain Vidya 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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