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जैन विद्या
8. जम्बूसामिचरिउ, 9.12 9-10. वही, 4.14.2-4 11. जाणमि एक्कु जे विहि घडइ सयलु वि जगु सामण्णु ।
जे पुणु प्रायउनिम्मविउ को वि पयावइ अण्णु ।। 4.14..9-10 12. इय जंबूसामिचरिय सिंगारवीरे महाकव्वे महाकईदेवयत्तसुय वीरवीरइए बारह अणुपेहाउ
भावणाए विज्जुन्चरस्स सव्वट्ठसिद्धिगमणं नाम एयारसमो संधी सम्मतो । 13. वही, 4.14 14. वही, 4.16, 4.20 15. अनेकान्त, बर्ष 9-किरण 10 में श्री रामसिंह तोमर का लेख 'अपभ्रन्श का एक श्रृंगार
वीरकाव्य। 16. जम्बूसामिचरिउ, 3.12 17. वही, 4.16 18. वही, 5.5 19. वही, 5.6.8
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