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________________ दिि Age य Ewel णाणुज्जीवी जीवो जैन विद्या संस्थान श्री महावीर जी महावीर जयन्ती 2585 5-6 जैनविद्या वीर विशेषांक सामिसरिए सिंगारवीरे महाकबे महाक5 देवयत्तस्यवीर विश्एद्वारह पुणे दाउ साथ पाए विजुचरस्ससह सिद्दिगमना मण्यार समो संधापरिछे उसम्म तो। संधिवारशावरिसा से चक्कोस तरिजुते जिणें दवा रस्सा लिद्वाला उad सविक्रम कालस्स उपपत्ती चिक्क मलिका लाज छाहत्तर दससएसुव रिसाएँ| माहम्मिसुद्ध परको सम्मी दिवस मिस त मिलिये आयरियपरं ।। परापवी रेलवी रणदि है | बकुल पपयांवर मिचरिय मुद्दा ठेदिमेहराव मालजिएप डिमाते गादिमहाकरणाविी रेपयहि यावराधबकुराय कधम्म - कामग्गोहीविदत्त समयस्मोवी रस्मचरियकर इक्कीसवस राजग्ना ॥जस्म कयदेवयते।। जालो सञ्ज्ञरियलक्ष् माहो। सुह सीलसुद्धवं सो जाएगी सिरिसंतु आत गिया।।६जस्यपसमवयालिड पे। सुमई सस हायरातिभिसी हल्लल व काजसइणा मेतिविरवाया। जायाजस्तमणिडा जिलचरपामा पुगाची या लीलावइतितईया। पश्चिम-तजाजया देवी ॥ पदम क लत्तं गरु हो। सत्ता एक यत्त्रविविपारो हो। दिपायलम लिलि हा गोलि उ तह पे मि चंदोति। एसो जय क यवीरा वीरजिणंद रस कारिये जलपा हाणमयं वयपियरुह स मे हव॥१० हजय जस लिवासी जसरा पंडिअतिविरकाजवीरजिए। यसरि साचरियमि कारिये जे पो|१|| इति ब्रूसा मिचरित्रं समा ॥ ॥ श्री॥ मन्येव थंड पडरीवतातिसामु तिकटीवर प्रोतुं गत मंडन चैता गे हाः | सोया नव्ह नृपतिनाक लोको रस्सरा रामज लवकृपा हम्पी पिता स्तिरती वरमाः । हनूप तिलो कार्धनपुणा-नाजा ददातिदानस्य विशाल शाला।।।2 आ विक्रमाचेन गते नाता षडक पंचैक सुमार्थशात्रयोदशीया तिथिसर्व सुद्धा! श्री जे बुंखामीति चड स्त को ये ॥ ३श्री जैनविद्या संस्थान ( INSTITUTE OF JAINOLOGY ) दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी राजस्थान
SR No.524755
Book TitleJain Vidya 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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