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जनविदा
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जैन साहित्य की उच्च परम्परा को चोतित करनेवाले ऐसे गवेषणात्मक एवं गौरवपूर्ण विशेषांकों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।" 35. अमरभारती, राजगृह, मई 1985, पृष्ठ 39-"17 विद्वानों के शोधपूर्ण लेखों
में महाकवि पुष्पदंत के उदात्तचिन्तन, व्यक्तित्व, विद्वत्ता एवं काव्यकला को उजागर किया गया है । अपभ्रंश भाषा के साहित्य को प्रकाश में लाने का प्रस्तुत कार्य महत्त्वपूर्ण एवं स्तुत्य है और जैन वाङ्मय की महान् सेवा है।
महाकवि पुष्पदन्त पर प्रकाशित प्रस्तुत अंक का यह प्रथमखण्ड ज्ञानकोष है। 36. वर्णी प्रवचन, वर्ष 3, अंक 5-6, मई-जून 1985, पृष्ठ 29-"पुष्पदन्त इस
महान् देश की एक असामान्य विभूति हैं । उनके शोधपूर्ण साहित्य मे जिज्ञासुनों के सामने अनेक गुत्थियां सुलझा कर रखी हैं । जैसा कि इस अंक में विद्वान् लेखकों ने विभिन्न तात्त्विक धाराओं के विवेचन से सिद्ध किया है। विद्वानों ने ऐतिहासिक तथा समीक्षात्मक उभय शैलियों का उपयोग कर इस अक को ग्रंथ का रूप प्रदान किया है। जिससे पाठकों को इस महाकवि की रचनाओं का . पूर्ण परिचय मिल जायेगा । विषयों का रोचक तथा रुचिकर ढंग से वर्णन किया गया है । प्रत्येक दर्शनप्रेमी पाठक के पुस्तकालय में रहने योग्य ग्रंथों में
से यह एक है।" 37. जैन गजट, लखनऊ, वर्ष 90, अंक 33, मंगलवार, दि. 18.6.85, पृष्ठ 22-सभी
लेख पठनीय हैं । जैन विद्या संस्थान अपभ्रंश भाषा के विशाल सुसमृद्ध साहित्य को, जो प्रायः सारे का सारा ही जैन मनीषियों की देन है प्रकाश में लाने का स्तुत्य
कार्य कर रहा है।............... "कागज, छपाई उच्चकोटि की है।" 38. बीरवाणी, जयपुर, वर्ष 37 अंक 20, दि. 18 जौलाई 1985, पृष्ठ 408
"विद्वान् लेखकों ने कवि पुष्पदन्त के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अच्छा प्रकाश डाला है । यह अक एक सन्दर्भ ग्रंथ के रूप में साहित्य जगत् में समाप्त होगा
इसमें सन्देह नहीं।" 39. स्यावावतानगंगा, सोनागिर, वर्ष 6 अंक 5-6, मई-जन 85- "जनदर्शन की
लुप्त/अनुपलब्ध सामग्री को प्रस्तुत करने में यह उन्नत प्रयास है । सम्पूर्ण दृष्टि से प्राद्योपान्त सही अर्थ में एक दुर्लभ शोध सामग्री को प्रस्तुत करने में पत्रिका सफल है।" ..
40. वीतरागवारणी, टीकमगढ, वर्ष 5 अंक 7, जुलाई 1985, पृष्ठ 25-"विद्वान्
सम्पादक मण्डल के निर्देशन में यथार्थतः जैन विद्या संस्थान का यह कार्य -- स्तुत्य तो है ही शोद्यार्थियों के लिए बहुत बड़ा सम्बल है। महाकवि के
मूल्यवान कृतित्व को उनकी गुणवत्ता के साथ विशेषांक में प्रस्तुत किया गया है जो महाकवि पुष्पदंत पर एक सन्दर्भ ग्रंथ व ज्ञानकोष का कार्य करता है।" .