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________________ विषय-सूची क्र.सं. विषय लेखक लेखक प्रास्ताविक प्रकाशकीय प्रारम्भिक णायकुमारचरिउ : एक प्राद्यन्त डॉ० गधामन नरसिंह बाके । जैनकाव्य __णायकुमारचरिउ में प्रतिपादित डॉ. कमलचंद सोगाणी जीवनमूल्य 3. जिनेन्द्र-स्तुति महाकवि पुष्पदन्त णायकुमारचरिउ की सूक्तियां और डॉ. कस्तूरचंद 'सुमन' उनका अध्ययन यशोधर का पाख्यान श्री नेमीचंद पटोरिया गुरुकुल में व्याख्यान जसहरचरिउ का काव्य-वैभव श्री जवाहिरलाल जैन । जसहरचरिउ में प्रात्मा-सम्बन्धी . श्री श्रीयांशकुमार सिंघई विचार ___ कर्म-विडम्बना 9. जसहरचरिउ केर सुहासियवयणाई महाकवि पुष्पदन्त भौर उनकी रसाभिव्यक्ति महाकवि पुष्पदन्त श्री भंवरलाल पोल्याका डॉ० प्रेमचन्द रांवका शील-महिमा महाकवि पुष्पदन्त की विचारदष्टि एवं उपमानसृष्टि महाकवि पुष्पदन्त डॉ० (श्रीमती) पुष्पलता जैन
SR No.524753
Book TitleJain Vidya 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages120
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size11 MB
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