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________________ 85 जैनविद्या अपहरण कर लेता है । यहाँ किचित् कथावैषम्य है । पुष्पदंत ने बताया है कि राम मायावी मृगशावक का अनुगमन करते हैं, शावक कुछ दूर तक जाने के बाद रावण के पास लौट आता है । रावण राम का रूप धारणकर उस मृगशावक को लेकर सीता के पास आता है और उसे वह मृगशावक दिखाकर विमान में बैठा लेता है, सीता वांछित मृग व राम को देखकर विमान में बैठ जाती है और इस प्रकार प्रवंचना से रावण उसका अपहरण कर लेता है (72.5 ) जबकि गुरणभद्र ने सीता के सम्मुख दोबारा मृगशावक को नहीं दिखाया है । लंका पहुँचने पर रावण के दुरभिप्राय का ज्ञान, उसके लिए पुनः पुनः दुराग्रह करना, नवीन प्रस्ताव रखना, प्रलोभन देना, मन्दोदरी द्वारा पुत्री को पहचान लेना आदि तथ्य भी दोनों में समान रूप से प्राप्त होते हैं ( 72.8 ) । इसी प्रकार राम का विरह, दशरथ के दूत द्वारा सीता अपहरण का ज्ञान, अपहर्ता के बारे में जानकारी (73.3-5 ) तथा हनुमान् के दूत कार्य सम्बन्धी तथ्य भी दोनों महापुराणों में समानता लिए हुए हैं । गुणभद्र के महापुराण के समान ही पुष्पदंत के महापुराण में भी विभीषण अपने भाई रावण को समझाता है पर रावण अपनी हठ पर अडिग रहता है तब विभीषण रावण का साथ छोड़कर न्यायपक्ष स्वीकार कर राम की शरण ग्रहण करता है (74.9-12 ) । रावरण संधि - प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है । परिणामस्वरूप भीषण युद्ध होता है । इन सब घटनाओं में समानता है, पर युद्ध-वर्णन में कथंचित् भेद प्राप्त होता है । पुष्पदंत ( की रामकथा ) के युद्ध-वर्णन में रावण राम को भयभीत करने हेतु इन्द्रजाल दिखाता है जिसमें मायावी युद्ध में सीता - मरण की माया दिखा कर राम को भ्रमित करना चाहता है । यह कथांश गुरणभद्र की रामकथा में नहीं है । अग्रे लक्ष्मण द्वारा रावण का वध होता है तत्पश्चात् लंका विजय कर समस्त वैभव व राज्य विभीषण को प्रदान कर ( 78.28 - 29 ) राम-लक्ष्मण आदि विश्वविजय हेतु प्रयाण करते हैं। बयालीस वर्ष पश्चात् त्रिखण्डपृथ्वी जीतकर वे अयोध्या लौटते हैं (79.4) जहाँ राम-लक्ष्मण का राज्याभिषेक किया जाता है। दोनों सुखपूर्वक राज्य करते हैं । तब दशरथ की मृत्यु हो जाने पर ( 79.9.4 ) भरत शत्रुघ्न को अयोध्या का राज्य प्रदान कर राम-लक्ष्मण बनारस लौट आते हैं । यहाँ दोनों महापुराणों की कथा में तथ्यभिन्नता प्राप्त होती है । गुणभद्र के पुराण में दशरथ-मृत्यु का संकेत नहीं मिलता जबकि पुष्पदंत के पुराण में राम-लक्ष्मण द्वारा त्रिखण्डपृथ्वी जीतकर आने के बाद दशरथ की मृत्यु का उल्लेख प्राप्त होता है । बनारस पाने के कुछ वर्षों बाद लक्ष्मण की मृत्यु हो जाती है । लक्ष्मण की निधन - तिथि के सम्बन्ध में दोनों रामकथाओं में भिन्नता है । गुणभद्र माघ मास की अमावस्या के दिन लक्ष्मण का निधन होना बताते हैं जबकि पुष्पदंत माघ की पूर्णिमा ( 79.11 ) को । भ्रातृ-वियोग के पश्चात् राम लक्ष्मण के पुत्र पृथ्वीचन्द को वाराणसी का राज्य प्रदान करते हैं और राम के सात बड़े पुत्र विजयराम आदि राज्य सम्पदा लेना अस्वीकार
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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