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जैनविद्या
2. वही, पृष्ठ 227
3. डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृष्ठ 68 (प्र.सं. 1965),
4. " गायकुमारचरिउ" की संधियों की पुष्पिकाओं में " गण्ण गामंकिए” तथा "जसहर चरिउ " की पुष्पिकाओं में " गण्ण करणाहरण " मिलता है ।
5. महापुराण 1.6
6. महापुराण, उत्थानिका भाग
7. " महापुराण" तीन खण्डों में डॉ. पी. एल. वैद्य द्वारा सम्पादित बम्बई से प्रकाशित ।
8. डॉ० रामसिंह तोमर : प्राकृत अपभ्रंश साहित्य, पृ. 104 (प्र. सं. 1963 )
9.
महापुराण, 5.2
10. महापुराण, 7.1
11. महापुराण, 2.6
12. डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृ. 96
13. महापुराण, 1.9
14. स्वयंभूदेव : पउमचरिउ ( विद्याधर काण्ड), 1.3.1
15. महापुराण, प्रथम संधि ( स्तुति अंश )
16. डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृ. 222
17. महापुराण, 2.39
18. महापुराण, 2.41
19. पुष्पदंत: जसहरचरिउ, 11
20. महापुराण, 1.68
21. डॉ. रामसिंह तोमर : प्राकृत अपभ्रंश साहित्य, पृ. 111