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________________ 32 जैनविद्या 2. वही, पृष्ठ 227 3. डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृष्ठ 68 (प्र.सं. 1965), 4. " गायकुमारचरिउ" की संधियों की पुष्पिकाओं में " गण्ण गामंकिए” तथा "जसहर चरिउ " की पुष्पिकाओं में " गण्ण करणाहरण " मिलता है । 5. महापुराण 1.6 6. महापुराण, उत्थानिका भाग 7. " महापुराण" तीन खण्डों में डॉ. पी. एल. वैद्य द्वारा सम्पादित बम्बई से प्रकाशित । 8. डॉ० रामसिंह तोमर : प्राकृत अपभ्रंश साहित्य, पृ. 104 (प्र. सं. 1963 ) 9. महापुराण, 5.2 10. महापुराण, 7.1 11. महापुराण, 2.6 12. डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृ. 96 13. महापुराण, 1.9 14. स्वयंभूदेव : पउमचरिउ ( विद्याधर काण्ड), 1.3.1 15. महापुराण, प्रथम संधि ( स्तुति अंश ) 16. डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन : अपभ्रंश भाषा और साहित्य, पृ. 222 17. महापुराण, 2.39 18. महापुराण, 2.41 19. पुष्पदंत: जसहरचरिउ, 11 20. महापुराण, 1.68 21. डॉ. रामसिंह तोमर : प्राकृत अपभ्रंश साहित्य, पृ. 111
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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