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________________ जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी राजस्थान के पूर्वी अंचल में सड़क मार्ग से जयपुर व आगरा से 175 तथा भारत की राजधानी दिल्ली से 300 कि. मी. की दूरी पर जिला सवाई माधोपुर तहसील हिण्डौन (राजस्थान) में गम्भीर नदी के सुरम्य तट पर श्रीमहावीरजी का पवित्र तीर्थ अवस्थित है। रेल-मार्ग से दिल्ली-बम्बई मुख्य रेल-लाइन पर भरतपुर व गंगापुर के मध्य "श्रीमहावीरजी" रेल्वे स्टेशन से करीब 6 कि. मी. मोटर/बस के द्वारा इस तीर्थक्षेत्र पर पहुंचा जा सकता है। इस देश में अनेक मंदिर व मूर्तियाँ हैं परन्तु उनमें कुछ ही मूर्तियां ऐसी हैं जिनकी प्राणप्रतिष्ठा अभी तक जीवन्त है अथवा वे चामत्कारिक हैं। ऐसी चामत्कारिक प्रतिमाओं में एक प्रतिमा श्रीमहावीरजी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पर विराजमान है। लाल पाषाण तथा संगमरमर से निर्मित कलात्मक भव्य जिनालय में विराजमान ताम्रवर्ण की भगवान् महावीर की यह परम दिगम्बर पद्मासन प्रतिमा लगभग 400 वर्ष पूर्व चामत्कारिक ढंग से भूगर्भ से प्रकट हुई थी जिसके निनिमेष दर्शन करते रहने पर भी तृप्ति नहीं होती। यही कारण है कि उक्त प्रतिमा के दर्शन हेतु जैन व जैनेतर सभी वर्गों और सम्प्रदायों के भक्तगण बिना किसी भेदभाव के खिंचे चले आते हैं। जैनधर्म का सर्वोदयी स्वरूप सच्चे अर्थों में यहाँ प्रतिभासित होता है। इस पावन तीर्थ पर यात्रियों को आवास, बिजली, पानी आदि सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहाँ सदैव दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। जंगल जैसी नीरवता तथा नगरों जैसी चहल-पहल दोनों विरोधी छोर यहाँ आकर मिलते हैं । ___ इस दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र की प्रबन्धकारिणी कमेटी ने अपना कार्यक्षेत्र केवल मंदिर की व्यवस्था तथा दर्शनार्थियों की सुख-सुविधा तक ही सीमित नहीं रखा अपितु, पूरे ग्राम के नागरिकों के लिए पानी, बिजली, सड़कें, शिक्षा, चिकित्सा आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वह पूर्णतया सचेष्ट है । यह कमेटी होनहार किन्तु आर्थिक अभाव
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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