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________________ जैनविद्या 103 -- 1. भट्टारकीय शास्त्र भण्डार, नागौर 1. पत्र संख्या 155 । ले. काल सम्वत् 1493 । ग्रंथ संख्या 1000 । 2. पत्र संख्या 253 । ले. काल सम्वत् 1585 । ग्रंथ संख्या 1451 । ___3. पत्र संख्या 101। अपूर्ण ग्रंथ संख्या 1351। 2. मंदिर पाटोदी, जयपुर पत्र संख्या 514 । वे. सं. 1011 3. भट्टारकीय भंडार, जैन मंदिर, अजमेर 1. पत्र संख्या 357 । वे. सं. 4371 2. पत्र संख्या 649 । वे. सं. 56। 4. तेरहपंथी मन्दिर, दौसा 1. पत्र संख्या 11 । वे. सं 20 । प्राचीन एवं जीर्ण। 5. बीसपंथी मन्दिर, दौसा ___ 1. पत्र संख्या 315 । वे. सं. 26 । 6. संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर 1. पत्र संख्या 138 । वे. सं. 26.4 । प्रादिपुराण- इसकी प्रतियाँ निम्न भंडारों में उपलब्ध हैं - 1. तेरहपंथी बड़ा मन्दिर, जयपुर 1. पत्र संख्या 382 । ले. काल संम्वत् 1477, वैशाख बुदि 2 । वे. सं. 91। 2. पत्र संख्या 252 । ले. काल सम्वत् 1526, आषाढ़ बुदि 13 । वे. सं. 13 । 3. पत्र संख्या 143 । ले. काल सम्वत् 1537 । वे. सं. 85 । तक्षकगढ़ (टोड़ा) के पार्श्वनाथ मंदिर में प्रतिलिपि हुई। 4. पत्र संख्या 344 । ले. काल सम्वत् 1597 । वे. सं. 89। विशेष—यह सचित्र प्रति है जिसमें 300 से अधिक चित्र हैं। 5. पत्र संख्या 208 1 ले. काल सम्वत् 1609 । वे. सं. 90 । 6. पत्र संख्या 177 । ले. काल सम्वत् 1648 । वे. सं. 87 । 7. पत्र संख्या 295 । ले. काल सम्वत् 1653 । वे. सं. 88 ।
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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