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________________ जनविद्या 1.99 2. मरुदेव्या शृंगारकरणं (मरुदेवी शृंगार करती हुई) - पत्र संख्या 17 पर, आकार 2:30x2" रानी मरुदेवी रंगीन साड़ी पहने हुए है। कानों में झुमके, हाथों में कड़े एवं चूड़ियाँ हैं। बायें हाथ में शीशा लिये हुए अपना मुख देख रही है। माथे पर बोरला बंधा हुआ है। 3. आदिनाथ का विवाह - पत्र संख्या 35 पर, आकार 8.5" x2" आदिनाथ स्वामी का विवाह अग्नि की साक्षी से हो रहा है । राजपुरोहित मंत्रोच्चारण कर रहा है। एक ओर नृत्य मंडली प्रतीक्षारत है तो दूसरी ओर वधू के माता-पिता 1. बैठे हुए हैं। 4: आदिनाथ पुत्रीपढावणं - (आदिनाथ अपनी पुत्रियों को पढ़ाते हुए) - पत्र संख्या 47 पर, आकार 3.5" x2.3" आदिनाथ स्वयं चौकी पर बैठे हुए हैं। उनके सामने दोनों ओर एक-एक पुत्री बैठी हुई है। उनके हाथ में पट्टी है। उनका पूरा ध्यान अपने पढ़ने की ओर है। स्वयं आदिनाथ अंगरखी पहिने हुए हैं । कमर में दुपट्टा बांधे हुए हैं । दुपट्टा रंगीन है । मस्तक पर राजमुकुट एवं कानों में गोल एवं लम्बे कुंडल हैं। हाथों में भी तीन-तीन कड़े पहिने हुए हैं। चौकी में वृषभ का चिह्न बना हुआ है। पास ही में पुस्तक रखने की तिपायी है जिस पर ग्रंथ रखा हुआ है। 5. आदिनाथ राज्यस्थापन (आदिनाथ का राज्याभिषेक) पत्र संख्या 49 पर, आकार 8.5°x2.2" प्रस्तुत चित्र बहुत सुन्दर एवं आकर्षक है। चौकी पर आदिनाथ बैठे हुए हैं जिस पर बेल-बूंटे बने हैं । आदिनाथ की वेशभूषा में कोई अन्तर नहीं है। उनके हाथ में पुष्प है तथा दूसरे हाथ से वे कुछ संकेत कर रहे हैं उनके सामने एक राजपुरुष एवं चार सौभाग्यवती स्त्रियाँ खड़ी हैं जो अभिषेक के पश्चात् उनका शृंगार करना चाहती हैं । चारों स्त्रियाँ विभिन्न मुद्रा में दिखाई दे रही हैं। सामने राजपुरुष तिलक करने की मुद्रा में खड़ा है। उनके दूसरी ओर छह राजपुरुष खड़े हैं। पहला राजा को पानी पिला रहा है। दूसरा और तीसरा हाथ में रजत कलश लिये हुए है। शेष तीन अभिषेक की दूसरी क्रिया के लिए तैयार खड़े हैं। वे धोती पहिने हुए हैं, गले में दुपट्टा है, माथे पर पगड़ी है पर बदन वस्त्ररहित है । 6. प्रस्तुत पाण्डुलिपि में प्रयाण करती हुई तथा युद्ध करती हुई सेना के अनेक चित्र हैं। भरत-बाहुबली युद्ध के पूरे पृष्ठ के दो चित्र हैं (पृष्ठ 172-173)
SR No.524752
Book TitleJain Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1985
Total Pages152
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size14 MB
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