________________
कर चोरी की जड़ इसलिए फैली है कि हमारे गृहस्थों में से नैतिकता का अभाव हो गया है। उसी दबे हुए शोले की राख को उन्होंने इस आंदोलन से दूर किया। उन्होंने सोचा कि पूरी दुनिया को सुधारने से पूर्व में श्रावकों को सुधारूं और हर श्रावक इसी विचारधारा का प्रतिनिधि बनकर विश्व के हर मानव को मानवता के पथ पर लाने का प्रयत्न करे। हमें प्रसन्नता इस बात की है कि उनका यह आंदोलन किन्हीं अंशों में सफल भी रहा । यदि इस आंदोलन को विश्व व्यापी बनाना है तो हर श्रावक को स्वयं श्रावकाचार का पालन करते हुए विश्व में अहिंसा, सत्य आदि का प्रचार-प्रसार करना होगा ।
सर्वप्रथम हम आत्मनिरिक्षण करें की क्या हमारा श्रावकाचार श्रावक के नियमों के अनुकूल है ? यदि नहीं तो उसे अनुकूल बनायें ।
तुलसी प्रज्ञा जुलाई - दिसम्बर, 2005
Jain Education International
प्रधान संपादक 'तीर्थंकर वाणी' अहमदाबाद
For Private & Personal Use Only
81
www.jainelibrary.org