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(4) सेक्या मोथ्या तथा त्यारे संघटै पिण बहिरणो नहीं। अनै गिणवा दाणा वीखरया सेक्या
दीसै। तिणरे संघटे बहिरयां अटकाव नहीं। .. (5) मोगरी भुंगारी लेणी नहीं। इम फली सांगरी कैर फोग धूंगाऱ्या लैणा नहीं। मां है
मिरच्यां रा बीज री तथा काचरयां रा बीज री फU री संका ते माटै। (6) केला फुतरा सहित तथा त्यारै संघटे बहिरणो नहीं। फुतरा बिना लैवे तो अटकाव नहीं। (7) मिरचा राती कूटी घांस अर्थे तेल घाल्योडी ते बीज सहित लैणी नहीं। (8) सिंघोडा सूका भागा बीज सहित लेणा नहीं। (9) आंबारो छंदो फोंतरा देशी आंब कीसागां सागां खांड का फरस विना लेणी नहीं।
परदेशी आंब की बात न्यारी। (17) काचा पाणी मैं तेल रा हाथ घाल्यां चीगर रा तरावारा दीसे ते लेणो नहीं। (18) लूण मिरच जीरो हलदी घाल्योडो मसालो लेणो नहीं। (24) खरबूजा रो खांड घाल्योडौ पुणो बीज सहित लेणो नहीं, बीज विना अटकाव नहीं। (25) बालण काकडी रो पुणो लेणो नहीं। (26) मतीरा को पाणी लेणो नहीं। (27) ऊन्हो पानी तथा गोबरादिक को धोवण रो पालो जम्यो ते लेणो नहीं। (28) दरिया नीला दाडिमरा कुलिया लूंण मिरच लगायोडा लेणा नहीं। ए 36 बोलांरी बंधोबस्ती विशेष कीधी। खोपरा बीज सहित वर्जणा तो आगे ई हूंती। पिण मूणरा खोपरा बीज गलिया जाण ने लेता ते छोड्या।.. आचार्य री बांधी मर्यादा आचार्य रे हाथे छ। (49) दीवारै चानणै पाना वांचणा नहीं। (57) पाणी सचित री पारखा अर्थे हाथ घालणो नहीं। ववहार में अचित जाणे तो बहिर
लेणों। 81. (c) मर्यादावली, व्यवस्था सूत्र 16 (अप्रकाशित):
"सेल, बेटरी वाली घड़ी की तरह कर्णयंत्र भी सेल-संचालित है। उसमें तेजस्काय की
अजयणा की संभावना नहीं लगती, अतः काम में लिया जा सकता है।" 82. मुनि यशोविजयजी, पूर्व उद्धृत ग्रन्थ, पृष्ठ 106-108 83. देखें, टिप्पण संख्या 73 84. मुनि यशोविजयजी, पूर्व उद्धृत ग्रन्थ, पृष्ठ 109
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- तुलसी प्रज्ञा अंक 125-126
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