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________________ इसका दूसरा नाम 'डी-इलेक्ट्रोनेशन' है। यद्यपि विज्ञानकोश-रसायन विज्ञान (भाग५, पृष्ठ-२२७-२३०) में बताए अनुसार क्लोरिन, फ्लोरिन, ओजोन वायु की हाजरी में भी ऑक्सीडेशन हो सकता है परन्तु बल्ब में तो क्लोरिन वगैरह वायु नहीं होते है। इसलिए वहाँ पर होने वाली ऑक्सिडेशन की प्रक्रिया ऑक्सिजन आधारित माननी पड़ती है अथवा ऑक्सिडेशन के लिए आवश्यक किसी भी प्रकार के वायु का वहाँ पर अस्तित्व तो मानना ही पड़ेगा। तथाविध वायु की गेरहाजरी में तो ऑक्सिडेशन संभव ही नहीं है। इसलिए विज्ञान के सिद्धान्त में तो ऑक्सिडेशन संभव ही नहीं है। इसलिए विज्ञान के सिद्धान्त के अनुसार भी बल्ब में वायु का अस्तित्व सिद्ध होता ही है। __ "हाँलाकि वर्तमान समय में साइन्टिस्ट नाइट्रोजन और आर्गन वायु को बल्ब में रखते ही हैं। इन्टरनेट से यह जानकारी निम्न शब्दों में है-टंगस्टन का तरल द्रव्य में रूपातंर हो कर गैस स्वरूप में वाष्पी भवन घटाने के लिए अथवा टंगस्टन का सीधा गैस स्वरूप में रूपान्तर (Sublimation)रोकने के लिए पिछले वर्षों में ग्लोब में निष्क्रिय वायु जैसे कि नाइट्रोजन और आर्गन मिलाने में आए।''14 आवर्त कोष्टक के शून्य समूह के हिलियम, नियोन, आर्गन, क्रिप्टोन, झेनोन, रेडोन, नाइट्रोजन वगैरह वायु को उमादा वायु कहे जाते हैं। ये उमदा वायु (inert gases) इलेक्ट्रोन गुमाने का अथवा प्राप्त करने का अथवा इलेक्ट्रोन की भागीदारी करने की कोई भी वृत्ति नहीं रख सकते हैं । (इस प्रकार की वायु स्वयं के अलावा दूसरे किसी भी मूल तत्व के परमाणु के साथ रासायनिक क्रिया नहीं करती, क्योंकि उसकी सभी कक्षाएँ और उपकक्षाएँ इलेक्ट्रोन से भरी हुई होती हैं। इस प्रकार से वे सभी रासायनिक रूप से तटस्थ हैं। इस प्रकार से दूसरे किसी मूल तत्त्वों का संसर्ग नहीं करने से वे उत्कृष्ट वायु कहे जाते हैं। (विज्ञानकाश-भौतिक विज्ञान-भाग-७, पृष्ठ ६४, लेखक पी. ए. पी. में से साभार उद्धृत)) इसलिए इन वायुओं को निष्क्रिय वायु के तौर पर भी पहचाने जाते हैं। (डो.सी.बी.शाह, विज्ञानकोश, भाग-५, पृष्ठ१४७) इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विज्ञानकोश रासायण विज्ञान पुस्तक में डॉ. एम.एम. देसाई ने बताया है कि 'निष्क्रिय वायु स्थाई होते हैं' - (गुजरात युनिवर्सिटी, अहमदाबाद से प्रकाशित भाग-५, पृष्ठ-४९.) इसलिए लम्बे समय तक बल्ब को प्रकाशित करने में नाइट्रोजन इत्यादि वायु सहायक होते हैं। नियोन भी निष्क्रिय वायु होने से विद्युतदीया, नियोन ट्यूब, नीलदीप्त प्रकाशनलिओं की रचान, स्पार्क चेम्बर वगैरह में भरने के काम में आता हैं। (देखिए विज्ञानकोश भाग-५, पृष्ठ४१३) हेलोजन लेम्ब में हेलोजन वायु भरते हैं। नियोन ट्यूब, सोडीयम वेपर लेम्प, मयुरी लेम्प वगैरह में नियोन, सोडीयम वेपर, मयुरी वेपर वगैरह वायु भरने में आते हैं । यह बात भी प्रसिद्ध है। तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2004 - - 69 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524618
Book TitleTulsi Prajna 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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