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________________ प्रश्न-6 इस प्रश्न का तात्पर्य है - क्या प्रकाश या उष्मा को प्रसारित होने के लिए माध्यम की अपेक्षा है ? बल्ब आदि में ऐसा माध्यम न हो तो, प्रकाश प्रसारित कैसा होगा? उत्तर- वैज्ञानिकों के अनुसार प्रकाश या उष्मा-तंरगों को प्रसारित होने के लिए किसी भौतिक माध्यम की अपेक्षा नहीं है। ये तरंगें इलेक्ट्रो मेग्नेटीक है जो बिना माध्यम प्रसारित हो सकती है। वैज्ञानिक अवधाराणाओं का अपने आग्रह को सिद्ध करने के लिए तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने से वैज्ञानिक दृष्टि वाले व्यक्ति पर तो उल्टा प्रभाव ही पड़ेगा। जब यह विज्ञान का सर्वमान्य तथ्य है कि प्रकाश-तरंग, उष्मा-तरंग आदि विद्युत्चुम्बकीय तंरगें हैं जो शून्य में भी प्रसारित होती हैं। इसी आधार पर आइन्स्टीन ने ईथर नामक काल्पनिक माध्यम को अस्वीकार किया था। ध्वनि की तंरगें बिना माध्यम नहीं चलती, इसीलिए वैक्युम में वह अवरुद्ध हो जाती हैं। प्रश्न-7 "जैनागम अनुसार भी प्रकाशमान बल्ब में पुद्गल द्रव्य का अस्तित्व सिद्ध होता ही है। इसलिए जैनागम अनुसार भी बल्ब में एब्सोल्युट वेक्युम का स्वीकार नहीं किया जा सकता। स्वीच ओन करने से पूर्व बल्ब में प्रकाश नहीं था। स्वीच ऑन करने के बाद बल्ब में प्रकाश उत्पन्न होता हुआ दिखाई देता है। इसलिए बल्ब में पीछे से इलेक्ट्रोन आदि पुद्गल द्रव्य का प्रवेश तो सिद्ध होती ही है। इस प्रकार जिस वायर के माध्यम से बल्ब में इलेक्ट्रीसीटी प्रवेश कर सकती है, उसी मार्ग से अथवा अन्य मार्ग से वहाँ तथविध वायु भी प्रविष्ट हो सकता है। इतना तो निश्चित ही है।"12 "इंटरनेट के माध्यम से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त हुई है"- "लाइट-बल्ब के अन्दर अधिकतर हवा बाहर निकाल दी जाती है। यदि ऐसा नहीं किया जाए तो वह तार वास्तविक रूप से तुरंत जल जाएगा। जब कोई बिजली का ग्लोब उड़ जाता है तब उसका कारण यह है कि टंगस्टन का तार धीरे-धीरे वाष्प में रूपांतरित हो जाता है।"13 "यहाँ हम देख सकते हैं कि 'अधिकतर हवा' ऐसा उल्लेख करने में आया है। इससे निष्कर्ष यह निकलता है कि बल्ब में कुछ अंश में हवा होती ही है। ऑक्सीजन आदि वायु भी वहां कुछ अंश में विद्यमान होता ही है अन्यथा ऑक्सिडेशन की प्रक्रिया पर आधारित फिलामेंट का राख में रूपान्तर = कार्बन रूप में परिवर्तन बल्ब में संभव ही नहीं है। ऑक्सिजन के अभाव में ऑक्सिडेशन किस प्रकार से संभव हो सकता है? ऑक्सिजन के साथ संयोगीकरण होने से परमाणु में से अथवा परमाणु समूह में से इलेक्ट्रोन को दूर करने से मूलभूत वस्तु का नाश होने की प्रक्रिया को विज्ञान की परिभाषा के अनुसार ऑक्सिडेशन कहते है। 68 - तुलसी प्रज्ञा अंक 123 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524618
Book TitleTulsi Prajna 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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