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________________ सोना तात्पर्य यह हुआ कि चाहे ठोस हो, तरल हो, या गैस- कोई भी ज्वलनशील पदार्थ ज्वलन-बिन्दु पर ऑक्सीजन के साथ रासायनिक क्रिया द्वारा ही अग्नि पैदा करते हैं। प्लाज्मा अवस्था में भी यही प्रक्रिया है - जब तक ऑक्सीजन का संयोग नहीं होगा तब तक अग्नि प्रज्वलित नहीं होगी। साथ में ताप और प्रकाश का उत्सर्जन भी सहवर्ती है। धातुएं उच्च तापमान पर पिघलती हैं। यदि ऑक्सीजन न मिले तो धातु पिघल सकती हैं, जल नहीं सकती। निम्न कोष्ठक में धातु का पिघलनांक दिया गया है - धातु पिघलनांक 1062 डिग्री से. प्लेटीनम 1770 डिग्री से. टंगस्टन 3643 डिग्री से. इलेक्ट्रीक कार्बन आर्क का तापमान 5500 डिग्री. सूर्य का भीतरी तापमान 2 करोड़ डिग्री. ताराओं का उत्कृष्ट तापमान 4 करोड़ डिग्री. ज्वलन-क्रिया में पदार्थ का जो ऊर्जा रूप में रूपान्तरण होता है वह अधिकांश उष्माऊर्जा के रूप में होता है किन्तु अपेक्षाकृत वह मात्रा काफी कम होती है। उदाहरणार्थ-3000 टन कोयलों को जलाने पर केवल 1 ग्राम कोयले जितनी संहति का ऊर्जा का रूप में परिणमन होता है, शेष पदार्थ का रूपान्तरण कार्बन मोनोक्साइड और राख के रूप में होता है जिनकी संयुक्त संहति 3000 टन में से केवल 1 ग्राम कम जितनी होती है जबकि केवल 92 यूनिट ऊर्जा प्रति ग्राम प्राप्त होती है। इसी प्रक्रिया को यदि न्यूक्लीयर रिएक्टर में घटित किया जाता है तब उसमें कार्बन का न्यूक्लीयस ऑक्सीजन के न्यूक्लीयस के साथ मिलकर सिलीकोन के न्यूक्लीयस को निष्पन्न करते हैं तथा ऊर्जा का उत्सर्जन- 14 X 10' यूनिट जितना प्रतिग्राम होता है ।100 __इस प्रकार ज्वलन-क्रिया एक रासायनिक क्रिया है जिसमें ज्वलनशील पदार्थ के कार्बन आदि तत्त्व ऑक्सीजन के साथ मिलकर उष्मा और प्रकाश के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन करते हुए राख आदि पदार्थ, कार्बन मोनोक्साइड या कार्बनडाई ऑक्साइड आदि गैस निष्पन्न करते हैं। इसी ज्वलनक्रिया को हम प्रज्वलन या अग्नि के रूप में देखते हैं। अग्नि, ज्वाला आदि का प्रकटीकरण इसी की परिणति है। अग्नि और उष्मा में अन्तर अग्नि और उष्मा दोनों एक नहीं है। 'अग्नि' कंबश्चन (दहन क्रिया) के रूप में 40 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 122 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524617
Book TitleTulsi Prajna 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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