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लोहार का लाल लोहा प्राणवायु से जलना शुरू कर सकता है। हालांकि यह धीमाजलना' है। पट्टी में 'पिघला' लाल लोहा प्राण वायु के साथ शीघ्र प्रक्रिया करता है। अतः इसमें तेउकाय पैदा होने की ज्यादा संभावना है। 400 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म लोहे के पिण्ड में तेउकाय के पैदा होने की सम्भावना कम है। इसका अपना रंग भी नहीं बदलता है। लेकिन इस तापक्रम से ज्यादा ऊपर गर्म करने पर इसका रंग बदलकर लाल-रंग होना शुरू हो जाता है।
यहाँ ध्यान देने की बात है कि केवल उच्च तापमान तक पहुँच जाने मात्र से यहां तक कि लाल गर्म हो जाने से ही तेउकाय पैदा नहीं हो जाते हैं। उस पदार्थ के साथ प्राणवायु से रासायनिक क्रिया कर जलना जरूरी है। अनुकूल तापमान
ज्वलनशील पदार्थ को अनुकूल संयोग न मिले तो अग्नि की उत्पत्ति नहीं होती। ऑक्सीजन का संयोग हो पर उपयुक्त तापमान न हो तो अग्नि पैदा नहीं होगी। जैसे-पैट्रोल अतिज्वलनशील पदार्थ है और खुली हवा के संयोग में भी है पर यदि उपयुक्त तापमान नहीं मिलेगा तो ज्वलनक्रिया निष्पन्न नहीं होगी। पैट्रोल का ज्वलनबिंदु लकड़ी या कोयला की तुलना में नीचे होता है, इसलिए साधारण तापमान बढ़ने पर भी पैट्रोल जल जाता है। इस प्रकार कुछ पदार्थ (जो अतिज्वलनशील हैं) बहुत थोड़े तापमान की वृद्धि के साथ जल उठते हैं, जबकि अन्य पदार्थों को जलने के लिए बहुत ऊंचा तापमान चाहिए। दियासलाई के घर्षण द्वारा तापमान की वृद्धि कर नोक पर लगे हुए बारूद (जो अतिज्वलनशील पदार्थ है) को जलाया जाता है। जलती हुई दियासलाई से और अधिक तापमान पैदा होता है जिसमें अन्य ज्वलनशील पदार्थ जलाए जा सकते हैं। जलते हुए कोयले की अग्नि का तापमान लगभग 1300 डिग्री सेल्सियस नापा गया है।
पर्याप्त रूप में उच्च तापमान तथा ऑक्सीजन का योग-ये दोनों मिलने पर ही ज्वलनशील पदार्थ द्वारा अग्नि पैदा हो सकती है। इसे अनेक उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है। जैसे -
1. अग्नि की लपटें उच्च तापमान पर जलती हुई गैस हैं। 2. अंगारे और मुर्मुर (अग्निकण) उच्च तापमान पर जलते हुए ठोस इंधन है।
3. आकाशीय बिजली में आयनीकृत गैस का उष्ण प्लाज्मा है, जो उस समय प्रकाशित होने के साथ ऑक्सीजन के साथ जलता है। जब बिजली चमकती है, कड़कती है। उससे पूर्व वह बादल में स्टेटिक विद्युत् के रूप में अचित् पुद्गल के रूप में स्थित है।
4. चकमक के घर्षण से उत्पन्न अग्नि में भी घर्षण से गर्म होकर हवा(ऑक्सीजन) के साथ जलने वाले सूक्ष्म कण होते हैं।
5. तरल इंधन अमुमन गैस बनकर फ्लेस पॉइन्ट पर ऑक्सीजन के साथ जलता है।
तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2003
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