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क्या विद्युत् ( इलेक्ट्रीसिटी)
सचित्त तेउकाय है?
जैन विद्या में षट्जीवनिकाय का सिद्धान्त स्वीकृत है। पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति और चलने-फिरने वाले प्राणी ये छह प्रकार के जीव है। इनमें तेउकाय यानी अग्नि जीव है, सचित्त है। प्रश्न है - क्या विद्युत् यानी इलेक्ट्रीसीटी तेउकाय है ? इस प्रश्न के सम्बन्ध में जैन विद्या के विद्वानों ने अपने मन्तव्यों को भिन्न-भिन्न रूप में व्यक्त किया है। ऐसी स्थिति में इस पर गहन शोधकार्य की अपेक्षा स्वतः स्पष्ट है।
आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने इस श्रृंखला में जो अनुसंधान किया है, वह न केवल जैनविद्या की दृष्टि से अपितु वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। उनके शिष्य प्रो. मुनि महेन्द्र कुमार जी ने इसी विषय पर अनुसंधान के माध्यम से विश्लेषण किया है। जैन आगम, दार्शनिक साहित्य, वैज्ञानिक सिद्धान्तों
आदि के आधार पर उन्होंने एक व्यापक प्रस्तुति दी है जिसे 'तुलसी प्रज्ञा' के माध्यम से इस शोध-निबन्ध को विद्वद् जगत् के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इस निबन्ध में अन्य विद्वानों द्वारा अब तक प्रस्तुत चिन्तन एवं मन्तव्यों की भी समीक्षा की गई है। निबन्ध लंबा है, इसलिए इसे अगले अंक में भी हम चालू रखेंगे।
- सम्पादक
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_ तुलसी प्रज्ञा अंक 120-121
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