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काटकर चैत्य, बिहार एवं मन्दिरों का निर्माण हुआ और उनके दिवारों पर चित्र बनाए गए। आगम साहित्य में अनेक स्थलों पर भित्तिचित्रों का उल्लेख है । आचार -चूला में वर्णित 'देवच्छन्दक - विमान' में अनेक प्रकार के भित्ति चित्रों का निर्देश है। वे भित्तिचित्र अनेक मणियों, रत्नों एवं सुवर्णों के बने हुए थे। सिंहासन भी विविध प्रकार के भित्तिचित्रों से सुशोभित था
णाणामणिकणयरयणभत्तिचित्तं सुभं चारुकंतरूवं सिहासणं विउव्वइ । "
उस देवच्छंदक विमान का अग्रशिखर भी अनेक भित्तिचित्रों से सुशोभित थापउमलयभत्तिचित्तं...
ज्ञाताधर्मकथा में विविध प्रकार के रत्नों से चित्रित भद्रासन का उल्लेख हैनाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तंसि ।"
रत्नखचित्तस्नानपीठ का उल्लेख है
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नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि । "
मेघकुमार का भवन विविध प्रकार की रत्नमणियों के द्वारा बने मृग, वृषभ, तुरग, वक्र, मकर, विहग, किन्नर, भंवर, कुंजर, वनलता एवं पद्मलतादि के चित्रों से सुशोभित था । 10
प्रव्रज्याकाल में बनायी गयी, हजार पुरुषों के द्वारा ले जायी जाने वाली शिविका अनेक चित्रों से सुशोभित थी -
ईहामिय- उसभ - तुरय-नर-मगर- विहग-वालग किन्नर - रुरु-सरभ- चमरकुंजर - वणलय - पउमलय भत्तिचित्तं ।"
अर्थात् वह शिविका ईहामृग (भेड़िया) वृषभ, तुरंग, नर, मगर, विहग, सर्प, किन्नर, रुरु (कालामृग), सरभ (अष्टापद), चमरीगाय, कुंजर, वनलता और पद्मलता आदि के चित्रों सुशोभित थी। पद्मावती अपने नागयज्ञ महोत्सव पर एक पुष्पमण्डप का निर्माण कराती है। वह उपर्युक्त चित्रों से सुशोभित था । 2 मणियार श्रेष्ठी की चित्रसभा विविध प्रकार एवं बहुरंगे चित्रों से सुशोभित थी । "
श्रीकृष्ण के स्नानगृह में रखा हुआ स्नानपीठ विविध प्रकार के चित्रों से अभिराम बना हुआ था। 14
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राजप्रश्नीय में वर्णित सूर्याभदेव द्वारा विकुर्वित विमान विविध प्रकार के रंग-बिरंगे चित्रों से सुशोभित था । उसका तल पाँच वर्ण के रत्नमणियों से सुसज्जित (चित्रित) था । द्वारफलक (द्वार के नीचे की लकड़ी) पर 'हँस' का चित्र बना हुआ था । 'हँसगब्भमयाएलुआ'।” भित्तों पर सुगंधित लेप भी लगे थे (भित्ति लेपों से चित्रित था)।" दशवैकालिक में चित्रभित्ति या भित्तिचित्र का उल्लेख है
तुलसी प्रज्ञा अप्रेल - सितम्बर, 2003
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