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________________ इस तरह से वृक्ष खेती के द्वारा खाद्यान्न समस्या और जल समस्या का और भी कारगर समाधान तो होता ही है, यह विधि अहिंसा से अधिक निकटता भी लाती है। । 1 (२) ऋषि - कृषि - जापानी कृषि शास्त्री मासानोबू फुयकुओका ने इस कृषि प्रणाली को जन्म दिया है । इसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों इत्यादि का बिल्कुल उपयोग नहीं किया जाता। यहां तक कि भूमि में हल भी नहीं चलाया जाता है। बीज यूं ही बिखेर दिये जाते हैं। खरपतवारों को भी नष्ट नहीं किया जाता है। इस प्राकृतिक खेती द्वारा फुकुओका ने एक एकड़ भूमि से ५-६ टन धान उपजाकर पूरी दुनिया को चकित कर दिया है।७ अहिंसक खेती के प्रवर्तन पर इस जापानी महामना को मैगासे से पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ द्वारा प्रतिपादित कृषि की ही इस खोज (रिसर्च) को बढ़ावा देना क्या हम अहिंसक अनुयायियों का कर्त्तव्य नहीं है ? और महावीर, अहिंसा अथवा आदिनाथ की पावन स्मृति में स्थापित कोई पुरस्कार इस ऋषि तुल्य जापानी को नहीं दिया जाना चाहिए ? (३) समुद्री खेती-समुद्र की खाद्य श्रृंखला को देखने पर पता चलता है कि वहां पादप प्लवकों द्वारा संचित ३१०८० के.जी. ऊर्जा, बड़ी मछली तक आते-आते मात्र १२६ के. जी. बचती है। ऐसे में यह विचार स्वाभाविक रूप से उठता है कि क्यों ना भोजन के रूप में पादप प्लवकों का सीधे प्रयोग करके विशाल ऊर्जा क्षय को तो रोका ही जाये, हमारी खाद्य समस्या को भी सरलता से हल कर लिया जाये। समुद्री शैवालों का विश्व में वार्षिक जल संवर्धन उत्पादन लगभग ६.५ गुणा १,००,००००० टन है। जापान तथा प्रायद्वीपों सहित दूरस्थ पूर्वी देशों में इसके अधिकांश भाग का सब्जी के रूप उपयोग किया जाता है। समुद्री घासों में प्रोटीन काफी मात्रा में पायी जाती हैं। इसमें पाये जाने वाले एमीनो अम्ल की तुलना सोयागीन या अण्डा से की गई है। मेरे मत से मछली पालन के स्थान पर पादप प्लवक पल्लवन से अहिंसा, ऊर्जा एवं धन तीनों का संरक्षण किया जा सकता है। (४) मशरूम खेती - फफूंद की एक किस्म मशरूम प्राचीन समय से खाई जाती रही है । यदि मशरूम की खेती को प्रोत्साहित और प्रवर्धित किया जाये तो यह अण्डों का उत्तम विकल्प बन सकता है। चूंकि इसका पूरा भाग खाने योग्य होता है। अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं होती है, रोशनी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। यह कूड़े-करकट पर उग सकता है तथा खनिजों का खजाना होता है, इसलिए यह आम आदमी का उत्तम नाश्ता हो सकता है। मशरूम के प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनों अम्ल भी पाये जाते हैं जो इसे श्रेष्ठ आहार बनाते हैं । ( ५ ) अहिंसक नव निर्माण- (क) ब्ल्यू क्रास ऑफ इंडिया ( चैन्नई) ने काम्पयुफ्राग, काम्प्युरैट शीर्षकों से साफ्टवेयर विकसित किये हैं जिनके प्रयोग से देश की शिक्षण संस्थाओं में लाखों मेंढकों, चूहों की हिंसा को समाप्त किया जा सकता है। तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only 45 www.jainelibrary.org
SR No.524610
Book TitleTulsi Prajna 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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