________________
होती है। इस प्रवृत्ति के कारण दुराग्रह कम होता है। दुराग्रह के कारण अपनी बात को सत्य सिद्ध करने के लिये हुई विद्रूपता से मुक्ति मिलती है।
उपाध्याय यशोविजय के शब्दों में 'अनेकान्तवादी किसी धर्म दर्शन से द्वेष नहीं करता। वह सम्पूर्ण दर्शनों को इस प्रकार से वात्सल्य-दृष्टि से देखते हैं जैसे कोई पिता-पुत्र को।'
यस्य सर्वत्र समता नयेषु तनयेष्विव । तस्यानेकान्तवादस्य क्व न्यूनाधि शेमुसी।
संदर्भ ग्रन्थ : 1. साधना के शलाका पुरुष गुरूदेव तुलसी, पृ. 211 2. वही, पृ. 300 3. स्याद्वादमंजरी श्लोक-22 4. महावीर व्यक्तित्व और विचार, पृ. 40-41 5. (क) अनेकान्तात्मकार्थकथनं स्याद्वादः । लघीयत्रय टीका, 62 (ख) एकस्मिन् वस्तुनि सापेक्षरीत्या विरुद्ध नानाधर्मा स्वीकारो हि स्याद्वादः । स्याद्वादो
नैकान्तवादः | – स्याद्वादमंजरी, टीका-5 6. द्रष्टव्य, 4/7 7. श्रमण महावीर, पृ. 180 8. अध्यात्मसार, श्लोक-6
संस्कृत विभाग सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर (राजस्थान)
82
- तुलसी प्रज्ञा अंक 113-114
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org