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उग्र व्यवहार को नियंत्रित कर सकता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य परिवार की अशांति के चक्र को तोड़कर पारिवारिक कार्यकलापों में उच्चस्तरीय सहयोग प्राप्त करना है।
__पारिवारिक चिकित्सा, समुदाय आधारित चिकित्सा एवं व्यापक सेवा योजना के अतिरिक्त प्रेम बनाम नियंत्रण का सिद्धान्त भी अति महत्त्वपूर्ण है। प्रेम एवं स्नेह के द्वारा उपचार के अन्तर्गत प्रशिक्षक सहानुभूति एवं प्रेम-पूर्वक मध्यस्थता, समस्या विश्लेषण तथा उपचारात्मक परिवर्तन के साथ अदंडात्मक नीति अपनाता है। परिणामतः तनाव दूर होकर अभिवृत्ति परिवर्तन हो जाता है। यह प्रयोग मुख्यतः पीड़ित व्यक्तियों के उपचार हेतु प्रयुक्त होता है। नियंत्रण का प्रयोग प्रताड़क पर किया जाता है। गिरफ्तारी, दण्ड तथा बच्चों एवं पत्नी को प्रताड़ित करने वाले के रूप में सार्वजनिक होने का भय ऐसे व्यक्ति के दुर्व्यवहार पर नियंत्रण कर सकता है। पारिवारिक अशांति के लिए जिम्मेवार दुर्व्यवहारों की रोकथाम के लिए कानूनी नियंत्रण तभी वांछनीय है जब उसमें हिंसा का समावेश हो अन्यथा प्रेम सहानुभूति पूर्वक व्यवहार ही पीड़ित एवं प्रताड़क दोनों में वांछित परिणाम ला सकता है।
उपर्युक्त उपचार कार्यक्रमों के अतिरिक्त तनाव, क्रोध एवं कलह-प्रबंधन, कौशल निर्माण, शैक्षिक कार्यक्रम आदि के साथ-साथ पारिवारिक शांति के लिए समाज द्वारा हिंसा उत्प्रेरित तनाव को कम करना, कुटुम्बजनों को समुदायिक नेटवर्क से जोड़ना, परिवार में हिंसा के चक्र को तोड़ना, नशावृत्ति पर रोकथाम एवं लैंगिक आधार पर विषमताओं को कम कर पारिवारिक संचार स्थापित करना महत्त्वपूर्ण है, जिनका कमोबेश समावेश अनेकांत के प्रयोगों में हो जाता है। अतएव अनेकान्त पारिवारिक शांति की दृष्टि से उपयोगी ही नहीं, अपरिहार्य भी है।
विभागाध्यक्ष, अहिंसा एवं शांति विभाग जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं-341 306 (राजस्थान)
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- तुलसी प्रज्ञा अंक 113-114
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