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चिकित्सा है जो सुझाव, भाव-परिवर्तन, अनुसरण आदि मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है। विचार परिवर्तन मिथ्या दृष्टिकोण, मिथ्या धारणा एवं निरपेक्ष चिन्तन को परिवर्तित करने का प्रयोग है। इसके अन्तर्गत हम एक व्यक्ति को व्यवहार के लिए विकल्पों के चयन में सहयोग कर अथवा विभिन्न विकल्प प्रस्तुत कर उसे सत्य के बहविध स्वरूप से परिचय करा सकते हैं। जीवन-शैली परिवर्तन के प्रयोगों द्वारा इच्छा-संयम, श्रम-निष्ठा, स्वालम्बन एवं व्यवस्था परिवर्तन के प्रशिक्षण के अन्तर्गत पारिवारिक संरचना, सदस्यों के बीच संचार, साधन शुद्धि, संसाधनों का समान वितरण, मानव संबंधों में सुधार आदि के प्रशिक्षण द्वारा पारिवारिक शांति को उपलब्ध हुआ जा सकता है।
हृदय परिवर्तन, विचार परिवर्तन एवं जीवन-शैली परिवर्तन हेतु मुख्य प्रयोग अनुप्रेक्षा है। मन की मूर्छा को तोड़ने वाले विषयों का अनुचिन्तन जब बार-बार किया जाता है, तो उससे मन प्रभावित होता है। व्यक्ति जिस परिवर्तन के लिए भावना करता है उसी रूप में उसके संस्कार निर्मित हो जाते हैं। सुझाव के द्वारा व्यक्ति की चेतना में बदलाव प्रारम्भ होता है जिससे आदतें बदली जा सकती हैं अर्थात् एक ही विचार अथवा भावना की बार-बार आवृत्ति तरंगें पैदा करती है; जो पुराने संस्कारों को उखाड़ कर नये संस्कार का सृजन कर देती हैं।
अध्ययन के अनुसार सह-अस्तित्व, सहिष्णुता, समन्वय, सापेक्षता आदि अनुप्रेक्षाओं का अभ्यास करने पर 62 प्रतिशत व्यक्तियों का यह निष्कर्ष था कि उन्हें इससे पारिवारिक शांति में सहयोग मिलेगा। उनका यह भी मानना था कि ये अनुप्रेक्षाएं पारिवारिक शांति के लिए दीर्घकालिक अभ्यास के उपरांत अत्यंत कारगर हो सकती हैं। यद्यपि हमने दीर्घकालिक प्रयोगों का आयोजन नहीं किया लेकिन अल्पकालीन प्रयोगों के तात्कालिक परिणाम उत्साह वर्धक रहे।
अनेकान्त आधारित उपर्युक्त प्रयोगों के अतिरिक्त पारिवारिक शांति हेतु कुछ और प्रयोग हैं। पारिवारिक चिकित्सा के प्रयोग के अन्तर्गत प्रताड़क और पीड़ित दोनों की एक साथ चिकित्सा की जाती है। चिकित्सा का यह सिद्धान्त उपेक्षित परिवारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। इस विधि का मुख्य घटक पीढ़ी-दर-पीढ़ी संक्रान्त हुए विचारों को समझना है। सदस्यों को पारिवारिक इतिहास जानकर यह समझना चाहिए कि वर्तमान अशांति के घटकों का उद्गम किस पीढ़ी से संक्रान्त हुआ है। समुदाय आधारित उपचार में एक परिवार को उसके घर पर ही मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रयत्न के साथ ही सदस्यों की सार-संभाल तथा कानूनी सहयोग उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जाता है जिससे भविष्य में पारिवारिक अशांति को कम किया जा सके।
उपचार की एक अन्य पद्धति, व्यापक सेवा योजना के अनुसार व्यक्ति में उग्र व्यवहार की प्रवृत्ति किसी एक घटक के कारण नहीं होती है, इसके लिए अनेक घटक एक साथ जिम्मेदार होते हैं। इसलिए किसी एक घटक को लेकर व्यापक सेवा योजना प्रदान करना किसी सदस्य के
तुलसी प्रज्ञा जुलाई-दिसम्बर, 20016
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