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व संयमी का क्रियाशील होना?
क्या जो शाश्वत है उसकी सामयिकता का प्रश्न दुर्बल होना अच्छा है या संबल होना? उठना चाहिए? अराजक का दुर्बल होना अच्छा है
वस्तुतः तो शाश्वत वही है जो सामयिक भी है व अनुशासित का सबल होना
सामयिक हए बिना शाश्वत शाश्वत नहीं है
अनेकांत शाश्वत है, अनेकांत सामयिक है महावीर ने कहा भी है
अनेकांत सिद्धांत है, अनेकांत व्यवहार है अविरोध में विरोध देखने वाला एकचक्ष है मानवता को मिला एक महत्त उपहार है
और विरोध में अविरोध देखने वाला अनंतचक्षु ___ कैसे हो यह प्रचलित? एक नकार है, दूसरा सकार
जीवन की समग्रता में समाहित? एक सृष्टिरोधी है, दूसरा सृष्टिशील
भाव इसमें क्या-क्या निहित? महावीर ऐसे ही तो साकार सृष्टिशील अनंतचक्षु हैं
जीओ और जीने दो अनेकांत के प्रस्तोता हैं, प्रयोगकर्ता हैं। विविधता का आदर करो
समता, सहिष्णुता, संतुलन जिसने एक को जाना उसने सब जाना शांतिमय, सुखमय, समरस, सहजीवन "जे एगं जाणई ते सव्वं जाणई''
अहंरहित, आतंकरहित परस्परावलंबन महावीर ने एक से सर्व को जाना
विनययुक्त, विवेकयुक्त दर्शन एक में सर्व को पहचाना
सुलक्षित, संबोधित, विज्ञान एक की सर्वमयता को अनेकांत माना वस्तु की अखंड सत्ता का आकलन अद्वैत-द्वैत में न उलझ
खंड के माध्यम से अखंड का निर्वचन रच दिया अनेकांत का
संवादी, सापेक्षी सत्यसंधान एक नया ताना-बाना ।
संदर्भ सुबोधक समाकलन
आकार-कार्य का हो अंकन जो एक वह अनेक
सकार-सुयुक्त सुसंयोजन तथा अनेक भी तो एक
अंश-अंश से पूर्ण बोधन ऐसा अनेकांत ही है
जड़ भी सत्य, सत्य चेतन राजसिक-सात्विक ज्ञान
होता विपरितों से योगन विचार-प्रधान यह
सहकार, सहअस्तित्व हो सर्वभावेन और यही कर्म-प्रधान ।
समन्वय के सूत्रों का संस्थापन
सतत हो आत्मालोचन, संस्कारण, संशोधन शाश्वत जो, वह सामयिक भी
अतंर्यात्रा, आत्मोत्थान आधारभूत भी, अधुनातन भी
सम्यक दृष्टि, संयत चर्या, संयममय जीवन अनेकांत एक दर्शन
विकल्पों का प्रचलन अनेकांत एक विज्ञान
संभव उपयुक्त चयन शाश्वत रूप सदैव वर्तमान
अनुकूलन, अनुशासन अनेकांत एक शाश्वत सत्य है
वैविध्य घटे क्यों, बढ़े क्यों 'एकसापन' अनेकांत की सामयिक अर्थवत्ता है
विविधता में एकता का हो स्तवन अनेकांत की सामयिक प्रयोजनीयता है विधेय क्या, निषेध क्या
तुलसी प्रज्ञा जुलाई-दिसम्बर, 20016
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