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है। क्योंकि वायुकायिक तथा अग्निकायिक जीव गमन करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मात्र गमन करने से ही जीव को द्वि-इन्द्रिय या उससे अधिक इन्द्रिय वाला त्रस नहीं कहा जा सकता है। अतः दो-इन्द्रिय या उससे अधिक के स के लिए यह परिभाषा होनी चाहिए कि पृथ्वी की सतह पर गमन कर सके वे दो इन्द्रिय या उससे अधिक के त्रस जीव हैं। अन्यथा वे एकेन्द्रिय स्थावर जीव हैं। यह तर्क सूक्ष्म-जीवों पर ही लागू मानना चाहिए, उच्च वर्ग के जीवों, जैसे मछली आदि पर नहीं ।
अब प्रश्न यह है कि बैक्टेरिया को पांच स्थावरों में से कौन सा मानें ? जैसा कि हम जानते हैं कि बैक्टेरिया प्रायः सभी स्थानों भूमि, जल तथा हवा में पाये जाते हैं। अतः जो बैक्टेरिया भूमि में पाये जाते हैं उन्हें पृथ्वीकायिक जीव मानना चाहिए। इसी प्रकार जो बैक्टेरिया जल में पाये जाते हैं उन्हें जलकायिक तथा जो हवा में पाये जाते हैं उन्हें वायुकायिक
व मानना चाहिए। आज कुछ ऐसे बैक्टेरियाओं की खोज की जा चुकी है जो 60-70 ° सैल्शियस ताप पर भी जीवित रह सकते हैं। इसने बैक्टेरियाओं को अग्निकायिक जीव माना जा सकता है।
अब वायरस तथा सब-वायरस रहते हैं । जैसा कि हम जानते हैं कि ये सजीव और निर्जीव के मध्य विभाजन रेखा का कार्य करते हैं तथा इनकी स्वयं की कोई कोशिका नहीं होती है जबकि बैक्टेरिया की स्वयं की पूर्ण विकसित कोशिका होती है। अतः वायरस तथा सब वायरसों को बैक्टेरिया से उच्च श्रेणी का तो नहीं माना जा सकता है । अतः ये भी एकेन्द्रिय स्थावर जीव हैं । चूंकि अधिकतर वायरस वायु में पाये जाते हैं, अतः उन्हें वायुकायिक केन्द्रिय जीव माना जा सकता है।
(5) दैनिक जीवन में सूक्ष्म-जीव
हम बिना हवा व पानी के जीवित नहीं रह सकते हैं। ये हमारे जीवन के अनिवार्य घटक हैं। जैसा कि ऊपर कहा गया है कि हवा व पानी दोनों में बैक्टेरिया रहते हैं । अतः हम बहुत से बैक्टेरियाओं को साँस लेने तक तथा पानी पीने के दौरान ग्रहण करते हैं। इसके अलावा बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें बहुत से सूक्ष्म जीव रहते हैं, लेकिन इनसे बचा नहीं जा सकता है। बहुत से खाद्य पदार्थों को इन सूक्ष्म जीवों से बचाने के लिए कई प्रकार के उद्यम किये जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में से कुछ की चर्चा हम आगे करेंगे तथा देखेंगे कि यदि इन सूक्ष्म जीवों से पूर्ण रूप से बचा नहीं जा सकता है तो क्या थोड़ा-बहुत बचा जा सकता है या नहीं ?
(5.1) ब्रेड, इडली व डोसा
ब्रेड, इडली व डोसा बनाने में फँजाई (फँफूद) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । यीस्ट फंजाई का एक प्रकार है, इसी की वजह से ब्रेड बहुत मुलायम बनती है। जब चीनी व गर्म पानी
तुलसी प्रज्ञा अंक 111-112
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