SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के साथ यीस्ट को मैदे आटे में मिलाया जाता है तो आटे में खमीर उठने लगता है। चीनी तथा गर्म पानी यीस्ट की वृद्धि दर अधिक कर देते हैं। प्रजनन के दौरान यीस्ट कार्बनडाई आक्साइड गैस छोड़ते हैं। गैस के बुदबुदे आटे को खुला (पोला) बना देते हैं जिससे आटा फूलने लगता है, इसी को खमीर उठना बोलते हैं। जब इस आटे को सेका जाता है तो गैस निकल जाती है तथा ब्रेड बहुत हल्की, मुलायम तथा स्पोंजी बनती है। इडली तथा डोसा बनाने में पहले दाल को कुछ समय के लिए भिगोया जाता है। इसी से पहले दाल कुछ फूलने लगती है। फिर इस दाल को पीसा जाता है तथा इसे कुछ समय के लिए रखा जाता है। ऐसा करने पर दाल में खमीर उठने लगता है। फिर यीस्ट पैदा होने लगता हैं। यहां कोई यह पूछ सकता है कि आखिर यीस्ट आता कहाँ से हैं? वस्तुतः यह हमारी हथेलियों से भी आ सकता है और हवा में से भी। ___ अब प्रश्न यह है कि जब ये खाद्य पदार्थ यीस्ट द्वारा बनते हैं तथा उन्हें सेकने के दौरान मार दिया जाता है तो क्या हमें इनको खाना चाहिए या नहीं? जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि फँजाई एकेन्द्रिय जीव हैं तथा इन्हें वनस्पति की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। अतः जिन लोगों ने बह-जीवी वनस्पति का त्याग नहीं किया है वे तो इसे ग्रहण कर सकते हैं और जिन्होंने त्याग कर दिया है वे इसे नहीं ले सकते हैं। यहां यीस्ट (फँजाई) को बहु-बीजी की श्रेणी में रखना चाहिए, क्योंकि खमीर उठाने में अनेकों यीस्ट का योगदान रहता है। दूसरी बात यह भी ध्यान में रखने योग्य है कि पदार्थों को बिना खमीर उठाये भी बना सकते हैं। हां, इतना अवश्य है कि वे उतने सॉफ्ट नहीं होंगे लेकिन हम बहुत से यीस्ट की हिंसा से तो बच ही सकते है। (5.2) पेय जल में बैक्टेरिया पानी को पीने, खाना बनाने सहित अनेक कार्यों में प्रयोग में लाया जाता है। पानी को छानकर प्रयोग में लाने का विधान है। लेकिन मोटे कपड़े में छानने मात्र से बैक्टेरिया अलग नहीं होते हैं। उन्हें अन्य उपायों, जैसे गरम करने आदि से समाप्त किया जा सकता है। रुके हुये पानी में इन बैक्टेरिया की संख्या बहुत अधिक होती हैं । ट्यूबवैल के पानी में सबसे कम बैक्टेरिया होने की संभावना होती है यदि उसके स्रोत में जमीन से किसी गंदे पानी का रिसाव न हो तो भी उबला हुआ पानी पीने के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इसमें बैक्टेरिया नहीं होते हैं। (5.3) लाभदायक बैक्टेरिया कुछ बैक्टेरिया हानिकारक होते हैं तथा वे मनुष्यों तथा पशुओं में बीमारी पैदा करते हैं। लेकिन कुछ बैक्टेरिया हमारी तथा पशुओं की आंतों में होते हैं जो भोजन पचाने में सहयोग करते हैं तथा नुकसानदायक सूक्ष्म जीवों को समाप्त कर देते हैं। आंत के बैक्टेरिया कुछ विटामिन भी पैदा करते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं। तुलसी प्रज्ञा जनवरी-जून, 2001 NI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524606
Book TitleTulsi Prajna 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy