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(ख) ऋषभायण पृ. 70-71 ( सर्ग 4 ) 9. आदिपुराण
10 (क) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् 2/957
तानि पञ्चाऽपि शिल्पानि प्रत्येकं विंशिभेदतः । शतद्या प्रासरल्लोके स्रोतांसि सरितामिव ।। (ख) ऋषभायण पृ. 62-63
11. वही, पृ. 71 (सर्ग 4 )
12. लोकतन्त्र : : नया व्यक्ति, नया समाज, पृ. 16
13. चाणक्यसूत्राणि, 4
14. ऋषभायण, पृ. 88
15. वही, पृ. 88
16. (क) किरातार्जुनीयम् 1 /9-22
17. ऋषभायण, पृ. 88-89
18. वही, पृ. 80
19. वही पृ. 90
20. चाणक्यसूत्राणि, 17
21. ऋषभायण, पृ. 89 22. चाणक्यसूत्राणि, 16 23. नीतिवाक्यामृत 10/80 24. वही, 10 / 82
25. ऋषभायण, पृ. 89 26. नीतिवाक्यामृत 10/9 27. चाणक्यसूत्राणि, 21
तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2000
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सम्पर्क प्रवक्ता जैन दर्शन जैन विश्वभारती, संस्थान लाडनूं
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