________________
(2) व्यञ्जन पर्याय नैगम - कोई नैगम नय एक धर्मी में गौणता और प्रधानता से दो व्यञ्जन पर्यायों को विषय करने वाला व्यञ्जन पर्याय नैगम है। जैसे आत्मा में सच्चैतन्य है। यहां 'सत्' तो चैतन्य का विशेषण होने से गौण रूप से नैगम नय का विषय है। वर्तमान क्षणवर्ती सूक्ष्म पर्याय को अर्थ पर्याय कहते हैं और स्थूल पर्याय को जो वचन गोचर हो व्यंजन पर्याय कहते हैं। (3) अर्थ व्यञ्जन पर्याय नैगम नय- एक धर्मी में अर्थ व व्यञ्जन दोनों पर्यायों को मुख्य गौण रूप से विषय करने वाला अर्थ व्यञ्जन पर्याय नैगम नय है। जैसे-धार्मिक पुरुष में सुख पूर्वक जीवन पाया जाता है। इस दृष्टान्त में सुख अर्थ पर्याय है और जीवन व्यञ्जन पर्याय है। सुख विशेषण है और जीवन विशेष्य है। विशेषण गौण होता है और विशेष्य प्रधान होता
द्रव्य नैगम नय -द्रव्य नैगम नय के बारे में तथा उनके भेदों के बारे में बतलाते हुए आचार्य विद्यानन्द कहते हैं कि शुद्ध द्रव्य या अशुद्ध द्रव्य को विषय करने वाले संग्रह व व्यवहार नय से उत्पन्न होने वाले अभिप्राय ही क्रमशः शुद्ध द्रव्य नैगमनय और अशुद्ध द्रव्य नैगम नय है। (1) शुद्ध द्रव्य नैगम नय- समस्त वस्तु सत् द्रव्य हैं, क्योंकि सभी वस्तुओं में सत्त्व और द्रव्यत्व के अन्वय का निश्चय है। इस प्रकार से जानने वाला शुद्ध द्रव्य नैगम है और सत्त्व तथा द्रव्यत्व के सर्वथा भेद को कथन करना दुर्नय है।
यहां संग्रह नय का विषय शुद्ध द्रव्य है और व्यवहार नय का अशुद्ध द्रव्य है। नैगम धर्म और धर्मी में से एक को गौण, एक को मुख्य करके विषय करता है, यह पहले लिख आये हैं। समस्त वस्तु सद् द्रव्य रूप है। यह शुद्ध द्रव्य नैगम नय का उदाहरण है। इस उदाहरण में द्रव्यपना मुख्य है, क्योंकि वह विशेष्य है और उसका विशेषण सत्त्व गौण है। 4 (2) अशुद्ध द्रव्य नैगम नय- जो नय 'पर्याय वाला द्रव्य' है या 'गुणवान द्रव्य' है ऐसा निर्णय करता है वह व्यवहार नय से उत्पन्न हुआ अशुद्ध द्रव्य नैगम है।'' संग्रह नय के विषय में भेद-प्रभेद करने वाले नय को व्यवहार नय कहते हैं। अतः द्रव्य पर्याय वाला है या गुणवाला है, यह उदाहरण अशुद्ध द्रव्य नैगम नय का है। चूंकि भेद ग्राही होने से व्यवहार नय का विषय अशुद्ध द्रव्य है, अत: नैगम के इस भेद को व्यवहारजन्य बतलाया है। द्रव्य पर्याय नैगम(1) शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय नैगम- शुद्ध द्रव्य व उसकी किसी एक अर्थ पर्याय को गौण मुख्य रूप से विषय करने वाला शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय नैगम नय है। जैसे कि संसार में सुख पदार्थ शुद्ध सत् स्वरूप होता हुआ क्षण मात्र में नष्ट हो जाता है यहां उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य रूप
तुलसी प्रज्ञा अप्रेल-सितम्बर, 2000 AWNITINAINITIIIIIIINNIV 55
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org