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________________ मिलता है। विशेषावश्यक भाष्य में वनस्पति में पांचों इन्द्रियों के अस्तित्व को व्यक्त करने वाले उदाहरण हैंश्रोत्रेन्द्रिय-सुन्दर कण्ठ एवं मधुर पञ्चम स्वर से उद्गीत श्रवण से विरहक वृक्ष पर पुष्प उग आते हैं। इससे श्रोत्रेन्द्रिय का लक्षण स्पष्ट परिलक्षित होता है। चक्षुरिन्द्रिय-सुन्दर स्त्री की आंखों के कटाक्ष से तिलक वृक्ष पर पुष्प खिल जाते हैं। इससे चक्षुरिन्द्रिय का लक्षण स्पष्ट परिलक्षित होता है। घ्राणेन्द्रिय-विविध सुगन्धित पदार्थों से मिश्रित निर्मल शीतल जल के सिंचन से चम्पक वृक्ष पर फूल प्रगट हो जाते हैं। इससे घ्राणेन्द्रिय का लक्षण परिलक्षित होता है।। रसनेन्द्रिय-विशिष्ट रूपवाली तरुण स्त्री के मुख से प्रदत्त सुस्वादु शराब के कुल्ले का आस्वादन करने से बकुल पर फूल खिल जाते हैं। इससे रसनेन्द्रिय के लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं। छह जीवनिकाय में वनस्पति काय का जगत बहुत विशाल है। इसके दो प्रकार हैं-१. साधारण वनस्पति २. प्रत्येक वनस्पति । साधारण वनस्पति-जिसके एक ही शरीर में अनन्त जीव रहते हैं। सारा निगोद इसी के अंतर्गत है। प्रत्येक वनस्पति–जिसके एक शरीर में एक जीव रहता है वह प्रत्येक वनस्पति है। प्रत्येक वनस्पति के प्रकार रुक्खा, गुच्छा गुम्मा, लता य वल्ली य पव्वगा चेव। तण वलय हरिय ओसहि, जलरुह कुहणा य बोधव्वा । (प्रज्ञापना पद १ सूत्र ३३/१) १. वृक्ष, २. गुच्छ, ३ गुल्म, ४ लता, ५. वल्ली , ६. पर्वग, ७. तृण, ८. वलय, ९. हरित, १० औषधि, ११. जलरुह, १२. कुहण वृक्ष-जिसके मूल, कंद, स्कन्ध, प्रवाल, शाखा, त्वचा, पत्र, पुष्प, फल सभी हों, वह वृक्ष कहलाता है। जैसे निम्ब, अम्ब आदि। गच्छ-जिसकी केवल पतली टहनियां और पत्तियां फैली हो, वह पौधा। जैसे बैंगन, तुलसी आदि। वल्ली-ऐसी बेलें जो विशेषतः जमीन पर ही फैलती हैं। गुल्म-विशेषतः फूलों के पौधों को कहते हैं। वह पौधा, जिसकी एक जड से कई तने निकलते हैं। 32 NTIINITIATILITI LLIN तुलसी प्रज्ञा अंक 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524603
Book TitleTulsi Prajna 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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