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आचार्य नेमिचन्द्र एवं उनके टीकाकार
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जीवनवृत्त
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आचार्य नेमिचन्द्र इस धरा को आज से लगभग एक हजार बीस वर्ष पूर्व साक्षात सुशोभित कर रहे थे । यह इस आधार पर कहा जाता है कि वे आचार्य अजितसेन और चामुण्डराय के साथ श्रवणबेलगोला स्थित भगवान बाहुबली के प्रतिष्ठापन समारोह में उपस्थित थे। समस्त साक्ष्यों के आधार पर प्रतिष्ठापना तिथि तेरह मार्च 981 ई. निश्चित की गई है।
उनके व्यक्तिगत जीवनवृत्त को रेखांकित करने में इतिहास हमारी कोई सहायता नहीं करता है । अतएव उनके माता-पिता, जन्मतिथि, जन्मस्थान, संन्यासपूर्व जीवन आदि के संबंध में तनिक भी लिखना संभव नहीं है। उनका जन्म 950 ई. का निश्चित किया गया।
डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन का ऐसा मत है कि नेमिचन्द्र और चामुण्डराय मूलत: एक ही ग्राम में जन्मे, पड़ौसी और घनिष्ठ मित्र या संबंधी रहे हैं। उनका ऐसा भी मत है कि आचार्य का देहावसान 990 ई. के लगभग हुआ होगा ।
उनके ग्रंथों में से अनेक मुनियों के नामों का उल्लेख प्राप्त होता है जिन्हें वे प्रणाम करते हैं। इस आधार पर कहते हैं कि ये मुनिगण उनके गुरु हैं I ‘चन्द्रप्रभचरितम्' के अन्त में आचार्य वीरनन्दि ने लिखा है कि गुणनन्दि के शिष्य अभयनन्दि और अभयनन्दि के शिष्य वह स्वयं वीरनन्दि थे ।
II तुलसी प्रज्ञा अंक 108
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दीपक जाघव
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