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________________ जैसा ताप क्षेत्र का संस्थान है वैसा ही अन्धकार का संस्थान है । अन्दर से संकुचित बाहर से चौड़ा है । अन्धकार की सर्वाभ्यन्तर बाहु मेरु पर्वत के पास ६३२४६. योजन एक युग में चन्द्रमा नक्षत्र के साथ ६७ बार योग करता है और सूर्य पांच बार योग करता है । अभिजित् नक्षत्र चन्द्र के साथ एक बार ९२७ मुहूर्त योग करता है। ६७ बार में ९३७४६७ == ६३० मुहूर्त । एक अहोरात्रि के ३० मुहूर्त होते हैं। इसलिए ६३० मुहूर्तों के ६३०:३० = २१ अहोरात्रि । अभिजित् नक्षत्र एक युग में २१ अहोरात्रि तक चंद्रमा के साथ योग करता है । सूर्य ५ बार योग करता है इसलिए इसमें ५ का भाग दिया २१:५= ४ अहोरात्रि ६ मुहूर्त । इसलिए सूर्य एक बार में अभिजित् नक्षत्र के साथ ४ अहो रात्रि ६ मुहूर्त तक योग करता है। जो ६ नक्षत्र चन्द्रमा के साथ १५ मुहूर्त योग करते हैं वे कुल १५४ ६७ = १००५ मुहूर्त करते हैं। १००५ मुहूर्त=३३ दिन १५ मुहूर्त । सूर्य ५ बार योग करता है। ३३३४:५६ दिन २१ मुहूतं । इस विधि से गणित करने पर चन्द्रमा के साथ और सूर्य के साथ कौन नक्षत्र कितने दिन और कितने मुहूर्त तक योग करते हैं निकल सकता है । सुविधा के लिए नीचे एक यन्त्र दिया जा रहा है चन्द्र मुहूर्त अहोरात्रि ३० mm or १. अभिजित् २. श्रवण ३. घनिष्ठा ४. शतभिषा ५. पू. भाद्रपद ६. उ. भाद्रपद ७. रेवती ८. अश्विनी ९. भरणी १०. कृत्तिका ११. रोहिणी १२. मृगसरा १३. आर्द्रा १४. पुनर्वसु १५. पुष्य १६. अश्लेषा १७. मघा १८. पू. फ. १९. उ. फ. mr ० ००० mr ० ow m ० Eะ &* * * * * * * * * * * * r ० M ४५ १५ * ४३२ तुमसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524594
Book TitleTulsi Prajna 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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