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२०. हस्त २१. चित्रा २२. स्वाती २३. विशाखा २४. अनुराधा २५. ज्येष्ठा २६. मूल २७. पू. षाढा २८ उ. षाढा
युग की आदि प्रभात से होती है। युग की आदि में चन्द्रमा के साथ अभिजित् नक्षत्र योग करता है । फिर क्रमशः नक्षत्र अपने-अपने मुहूर्त काल तक चन्द्रमा के साथ योग करते जाते हैं । एक नक्षत्र का कालमान पूर्ण होने पर दूसरा, तीसरा नक्षत्र क्रमशः योग करता जाता है। गति
चन्द्रमा से सूर्य की शीघ्र गति है । सूर्य से ग्रहों की शीघ्रगति है । ग्रहों से नक्षत्रों की शीघ्रगति है और नक्षत्रों से ताराओं की शीघ्र गति है।
तारादेव से नक्षत्रदेव अधिक ऋद्धि वाले हैं। नत्रत्रों से ग्रह अधिक ऋद्धिवाले हैं । ग्रहों से सूर्य अधिक ऋद्धिवाले हैं और सूर्य से चन्द्रमा अधिक ऋद्धिवाले हैं। अन्तर
ताराओं में परस्पर अन्तर जघन्य पांच सौ धनुष और उत्कृष्ट दो कोश का अंतर है । पर्वतादि का व्यवधान होने से जघन्य २६६ योजन ताराओं में अन्तर है। चार सो ४०० योजन ऊंचा निषध पर्वत पर ५०० योजन कट ऊंचा है, वे शिखर ऊपर २५० योजन चोड़े हैं, उससे २०० योजन दूर तारे हैं, इस प्रकार २६६ योजन होते हैं । पर्वतादि का व्यवधान होने से उत्कृष्ट १२२४२ योजन ताराओं में अन्तर है । १०००० दस हजार योजन का मेरु पर्वत चौड़ा है और मेरु से ११२१ योजन तारे हैं। इस प्रकार १२२४२ योजन ताराओं में अन्तर है।
चन्द्र को ८८ महाग्रह, २८ नक्षत्र और ६६९७५००००००००००००००० ताराओं का परिवार है। जम्बू द्वीप के मेरु पर्वत से ११२१ योजन दूर ज्योतिष चक्र मेरु के चारों तरफ परिभ्रमण कर रहा है।
___ लोक के अन्त से ११११ योजन दूर चारों तरफ फिरता ज्योतिष चक्र है। समभूमि से ७९० योजन ऊपर नीचे का तारारूप ज्योतिष चक्र है ।
सूर्य का विमान समभूतल से ८०० योजन ऊपर है । चन्द्र का विमान समभूतल से ८८० योजन ऊपर है। ऊपर के तारे समभूतल से ९०० योजन गति करते हैं । चंद्रमा के ४ योजन ऊपर नक्षत्र पटल है, उसके चार योजन ऊपर बुध पटल है, उसके ३ योजन ऊपर बृहस्पति पटल है, उसके ३ योजन ऊपर मंगल है और उसके ३ योजन सण २३, अंक ४
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