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________________ Jain Education International आगमों में ज्योतिष : एक पर्यालोचन खण्ड २३, अंक ४ नक्षत्रों का चार्ट १. देवता २. तारे ३. गोत्र ४. संस्थान ५. द्वार ६. भोजन ७. कुल उपकुल पूर्व पुष्प ब्रह्म विष्ण खीर जस वसु For Private & Personal Use Only अभिजित् श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वभाद्रपद उत्तरभद्रपद रेवती अश्विनी भरणी कृत्तिका रोहिणी मृगसरा आर्द्रा पुनर्वसु वरुण अज अभिवृद्धि पुष्य अश्व यम अग्नि प्रजापति सोम रौद्र आदित्य in mo a rom min w rm on or ३ मौदगलायन संख्यायन अग्रभाव १०० कणिलायन २ जातुकर्ण २ धनंजय ३२ पुष्यायन अश्वायन ३ भार्गवेष अग्निवेश ५ गौतम ३ भारद्वाज १ लौहित्य वशिष्ठ गोशीर्षावलि काहारका पक्षी का पिंजारा पुष्प के पुंज बावड़ी बावड़ी नावा अश्वस्कंध कुलोपकुल उपकुल कुल तुवर की दाल कुलोपकुल करेला उपकुल वाराही कंद कुल नारियल की गिरी उपकुल मैथी कुल तिल, चावल उपकुल दहि कुल वृषभकंद उपकुल कस्तूरी का दाना कुल नवनीत कुलोपकुल घृत उपकुल भग पूर्व पर्व दक्षिण दक्षिण दक्षिण दक्षिण दक्षिण दक्षिण दक्षिण क्षुरधार शकट मृगशीष रुधिरबिंदु २२५ www.jainelibrary.org तुला
SR No.524594
Book TitleTulsi Prajna 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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