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________________ पुष्य Jain Education International कल अश्लेषा मघा पूर्व फाल्गुनी उत्तर फाल्गुनी हस्त चित्रा स्वाती विशाखा अनुराधा ज्येष्ठा बहस्पति ३ अवमज्जायन सर्प ६ मंडव्यायन पितृ ७ पिंगायन भग भग २ गोवाल्लायन अर्यमन । २ काश्यप सविता कौशिक त्वष्टा १ दर्भायन वायु १ चामरछायन इन्द्राग्नि ५ श्रृंगायन मित्र ४ गोवल्याख्यान इन्द्र ३ तिगित्सायन नऋति ११ कात्यायन जलदेव ४ बब्भियापन विश्वदेवता ४ व्याघ्रपत्य वर्धमान (शरावला) पश्चिम खीर कुल . ध्वजा पश्चिम चित्रक उपकुल गाडेका पश्चिम कसार पर्यक पश्चिम मेंढा सिंगी का गुदा उपकुल पर्यक पश्चिम बडे बेर का गुदा कुल । हाथ का पंजा पश्चिम गिलोय उपकुल मुख का आभरण पश्चिम मूंग का सूप कुल . कीले का उत्तर उपकुल दामनी उत्तर खाजे कुल एकावलि उत्तर कस्तूरी मिला अन्न कुलोपकुल गजवंत उत्तर बेर की खोड़ी उपकुल वृश्चिक की पूंछ उत्तर सहिजन कुल । गज विक्रम उत्तर आमला उपकुल बैठा हुआ सिंह उत्तर बेल फल For Private & Personal Use Only पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाढ़ा कुल www.jainelibrary.org तुलसी प्रज्ञा, लाडनूं खंड २३, अंक ४
SR No.524594
Book TitleTulsi Prajna 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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