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डा० हरदेव बाहरी ने लेखक को बतलाया कि पाकिस्तान में सिक्खों का एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ है पंजा साहिब । पंजा साहिब में एक पहाड़ी पर धंसे हुए एक पंजे का निशान है जिससे पानी निकलता रहता है। सिक्ख - मान्यता के अनुसार एक बार गुरु नानक अपने परम शिष्य मस्ताना के साथ कहीं जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें प्यास लगी । वहां स्थित वली कंधारी नामक पीर से उन्होंने पानी मांगा। पीर के इनकार करने पर गुरु नानक ने अपना खुला पंजा पहाड़ी की चट्टान में शक्ति के साथ गड़ा दिया । जहां उन्होंने पंजा गड़ाया वहीं से निर्मल जल की धारा वह निकली जो आज तक ज्यों की त्यों बह रही है। जहां से जल प्रवाहित हो रहा है वहां पर अब भी पंजे का निशान है जिसे अपनी यात्रा के दौरान डा० बाहरी ने स्वयं देखा था ।
पञ्चाङ्गुलांक की इस सुदीर्घ परम्परा में प्राचीनता का पुट और बढ़ जाता है जब इसका अंकन हमें देश की प्रागैतिहासिक गुहा चित्रों में मिल जाता है। उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में सोरहोघाट, कोहबर और कण्डाकोट पहाड़ के समीपवर्ती मार्ग में स्थित शिलाश्रयों में क्षेपांकन (स्टेंसिल) विधि से अंकित गेरुए रंग के अनेक हस्तचित्र प्राप्त हुए हैं ।" कहीं अकेले एक हाथ की छाप मिलती है, कहीं दोनों की । मध्यप्रदेश में होशंगाबाद के निकट भीमबेटका नामक पहाड़ी क्षेत्र के स्तर III एफ-१७ १११ और स्तर III ई- १२ में दो पञ्चाङ्गुल के चित्रांकन मिले हैं । " मध्यप्रदेश ही रायसेन जिले में बरखेड़ा नामक स्थान के शिलाश्वयों से भी ऐसे ही पञ्चांगुलांक चित्रित पाए गए हैं ।" तक्षशिला की पुरातात्विक खोदाई में अनेक पंचमार्क सिक्कों पर अन्य प्रतीकों के साथ पञ्चाङ्गुल का प्रतीक भी पाया गया है । २१
यदि अधिक नहीं तो कम से कम ढाई हजार वर्षो से थापे या पञ्चाङ्गुल की परम्परा हमारे देश में निरन्तर अबाधगति से प्रचलित रही है। इस मांगलिक प्रतीक की लोकप्रियता का कारण क्या है ? दूसरे शब्दों में थापे का अर्थ क्या है, इस चिह्न कौनसा तात्पर्यं सन्निहित है ? संभवतः इसके दो कारण बताए जा सकते हैं- पहला पांच की संख्या का महत्व और दूसरा कर्म का महत्त्व ।
संभव है पञ्चाङ्गुल पांच की संख्या का द्योतक होने के कारण शुभ एवं मांगलिक माना जाने लगा हो । भारतीय जीवन में पांच का विशेष महत्त्व है । पञ्चतत्त्व, पञ्चपरमेश्वर, पञ्चामृत आदि का लाक्षणिक अर्थ किसी से छिपा नहीं है । सिक्ख सम्प्रदाय में पंजे का पूज्य स्थान है । उनके पंजे पांच 'क' आते हैं केश, कंघा, कृपाण, कच्छा और कड़ा जिनका प्रत्येक सिक्ख के पास सदैव होना आवश्यक माना जाता है । भारतीय मुसलमानों में भी पांच की संख्या शुभ मानी जाती है । उनके पांच महापुरुषों को 'पंजतन' कहा जाता है जिसमें हजरत मोहम्मद साहब, उनकी बेटी फातिमा, दामाद हज़रत अली और उनके दो नाती हसन और हुसेन की गणना की जाती है ।
थापे या पञ्चालाक की लोकप्रियता का दूसरा सन्निहित कर्म की प्रेरणा है । पञ्चाङ्गुल हाथ का प्रतीक होने और लोकप्रिय बना। हाथ कर्म करने की क्षमता का द्योतक
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महत्वपूर्ण कारण इसमें
के कारण महत्त्वपूर्ण और धर्म का साधन है ।
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