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४. शिक्षण की वैज्ञानिकता-लेखक : रामनरेश सोनी, प्रकाशक-कलासन प्रकाशन, कल्याणी भवन, बीकानेर, मूल्य-१२०/- रुपये।
पिछले वर्षों में जॉन टॉल्ट, कार्ल रोजर्स, फ्लैण्डर्स, ज्यॉ पियाजे, विलियम जेम्स, कोनराड लॉरेंज, मार्शल मेक्लुहान, माकारेको, एरिक एरिक्सन, बैंजामिन ब्लम, पारलोफे रे, वसीली सुखोम्लीन्स्की, गिजुभाई बधैका, वर्जीनिया एक्सेलाइन, थोर्नडाइक जिरोन ब्रूनर, ए. एस नील, जे. कृष्णमूर्ति, मार्गरेट डोनाल्डसन, हर्बर्ट थेलन तथा रोबीकिड जैसे मनीषियों ने शिक्षा जगत् को काफी क्रांतिकारी विचार दिए हैं जिनको आत्मसात् करके अध्यापक अपने शिक्षण को जीवन्त, प्रभावशाली तथा वैज्ञानिक बना सकता है । प्रस्तुत ग्रन्थ के लेख उपर्युक्त विद्वानों के चिन्तन की ही परिणति हैं।
इन निबंधों तथा कहानीनुमा लेखों के लेखक श्री रामनरेश सोनी हैं जो राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत श्रेष्ठ शिक्षक व सिद्धहस्त सम्पादक हैं। आपको दो दशकों से अधिक 'शिविरा' (मासिक) व 'शिक्षक' (त्रैमासिक) के संपादन का अवसर मिला है ।
पुस्तक का मेक-अप, छपाई, भ्रूफ संशोधन आदि सभी पूर्ण योग्यतापूर्वक किए गए हैं । यथास्थान रेखा चित्र (कार्टून) भी दिए जाते तो पाठकों की रुचि और भी ज्यादा बढ़ती । कुल मिलाकर पुस्तक संग्रहणीय तथा जिज्ञासु अध्यापकों के लिए मननीय है।
५. स्मारिका, १९९५-९६, संपादक-डॉ. किरण नाहटा, डॉ. धर्मचंद जैन एवं श्री उदय नागौरी, प्रकाशक-श्री जैन पाठशाला सभा, बीकानेर ।
प्रस्तुत स्मारिका में शुभकामना संदेश, श्री जैन पाठशाला सभा के बढ़ते चरण, चित्र वीथी, उदार मना सहयोगी, दर्शन, दृष्टि, दृश्य-इत्यादि खंडों के रूप में प्रभूत् सामग्री दी गई।
__ मूलतः यह जैन पाठशाला सभा की सन् १९०७ से सन् १९९६ तक की गतिविधियों का परिचय देने को प्रकाशित की गई स्मारिका है किन्तु सम्पादकों ने इस अवसर का लाभ उठाकर दृश्य खंड में प्राकृत ग्रन्थों में प्रकृति संरक्षण के सूत्र, बीकानेर अंचल का पुरातात्त्विक वैभव और लोक कथाओं का शैक्षणिक महत्त्व तथा दृष्टि खंड में शिक्षा का माध्यम, भारतीय संकृति के केन्द्र, स्त्री शिक्षा, जीवन विज्ञान : अहिंसा केन्द्रित शिक्षा का प्रयोग, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, धर्म और शिक्षा और अहिंसा का अर्थशास्त्र जैसे लेख तथा दर्शन खंड में गणाधिपति तुलसी, श्रीमद् जवाहराचार्य, आचार्य श्री विजय वल्लभसूरि, आचार्य विनोवा भावे, डॉ. छगनलाल मोहता, श्री सिद्धराज बढा, श्री स्वामी संवित् सोमगिरि जैसे चिंतकों के विचारों को भी प्रकाशित कर दिया है। इसलिए यह स्मारिका संग्रहणीय होने के साथ साथ पठनीय ही गई है।
६. जैन सिद्धांत भास्कर भाग ४९ अंक १-२, सम्पादक-डॉ. राजाराम जैन, प्रकाशक- श्री देवकुमार जैन ओरियण्टल रिसर्च इंन्टीच्यूट, आरा (बिहार), मूल्य५० रुपये।
जैन पुरातत्त्व सम्बन्धी वार्षिक शोधपत्र अथवा दी जैन एण्टीक्वेरी नाम से यह
बण्ड २३, बंक ३
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