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________________ 'अहिंसा परमोधर्मः' की लोक गाथा मैं तो मरू मेरी आई। तू क्यूमरै पराई जाई॥ मनोहर शर्मा राजस्थान में अगणित कहावतें लोक-प्रचलित हैं, जो जीवन व्यवहार के प्राय: सभी प्रसंगों से संबंधित हैं। लोग यथा-प्रसंग इनका प्रयोग करके अपने कथन को रंजक एवं प्रमाण-पुष्ट बनाते हैं। ये कहावतें गद्य-पद्यात्मक दोनों प्रकार की हैं और साथ ही प्रेरणादायक भी हैं। इनमें कई कहावतें ऐसी हैं, जिनके पीछे कोई छोटी या बड़ी 'बात' है। राजस्थान में कहानी के लिए 'बात' शब्द प्रचलित है। यहां लोक-कथा को भी 'बात' ही कहा जाता है। ___साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि राजस्थानी जनसाधारण में बात', 'कहाणी' और 'कथा' में थोड़ा अन्तर भी है। महिला-समाज में प्रचलित व्रत-कथाओं को 'कहाणी' कहा जाता है, जैसे-'सूरज नारायण की कहाणी', 'विनायकजी की कहाणी' आदि । 'कथा' के साथ धार्मिक वातावरण रहता है और वह आयोजन के साथ कही तथा सुनी जाती है। परन्तु 'बात' में सरसता रहती है। यह उसका विशेष गुण है। ___ सहस्राधिक बातें पुरानी हस्त-प्रतियों में सुरक्षित हैं। उनमें अनेक चित्रित हैं, जो बड़ी मूल्यवान हैं। इनके अतिरिक्त लोक-प्रचलित 'बातों' की तो कोई गिनती ही नहीं। इनमें अनेक बातें ऐसी हैं, जो किसी कहावत से सम्बन्धित होती हैं। लोग उस कहावत का प्रयोग करते रहते हैं, परन्तु उसके पीछे छोटा या बड़ा जो कथा-सूत्र है, उसकी उन्हें जानकारी नहीं होती। फलतः उस कहावत का अभिप्राय भलीभांति प्रकट नहीं हो पाता। ऐसी कहावती-बातों के तीन 'शतक' प्रकाशित करवाए जा चुके हैं, जिनमें से दो 'वरदा' (बिसाऊ) में प्रकाशित हुए हैं और एक 'शतक' पिलानी की शोध-पत्रिका 'मरु-भारती' में क्रमश: छपा है। इनके अलावा अन्य भी ऐसी अनेक कहावतें लोक-प्रचलन में हैं, जिनसे सम्बधित बातें' प्रकाश में नहीं आ पाई हैं और उनको लिपिबद्ध किए जाने नी नितान्त आवश्यकता है। यहां एक ऐसी ही कहावती 'बात' पर विवेचनात्मक प्रकाश डालने का प्रयास किया जाता है जो अनेक प्रकार से अपना विशेष रहत्त्व रखती है। कहावत पद्यात्मक खण्ड २३, अंक २ २४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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