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________________ कोल्लाग ग्राम इ । बल नाम ब्राह्मण ने घरे दीक्षा था बीजइ दिन। पारणे क्षीर करी नइ थउं। २३. दीक्षा समय देवता ए कीधउ जे विलेपन ते पणि। साधिक चउमासे सीम थयउं तुं नइ दुखदायी। विलेपन माटइ भमरे कदर्थना कीधी। ग्राम्य तरुणे विलेपन नी प्रार्थना कीधी । तरुण स्रीया काम निमित्त प्रार्थना कीधी। २४. भगवंत थी उफराठउ सूल पाणि नामा यक्ष। क्रूरकर्मा अथवा क्रूरप्रकृति चंडकोसिक नामा साप प्रतइ । गणी नही आपणा शरीर नी पीडा । प्रतिबोधत उ हुयउ तुं हे भगवन् । २५. एक रात्रि नइ विषइ वीसं २० उपसर्ग कीधा संगम इ। छमास सीम नानां प्रकार ना उपसर्ग तुं नइ करी नइ निवारयो छइ इंद्र इ । सुर नउ अनइ स्वर्ग नउ संगम जेहनो । एहवो संगमो हुयउ। २६. काने कास नी सिलाका नउ घालणहार मिथ्यात्वी अथवा गोवालिय इ ऊपरि क्रोधी । खरक नामा वैद्य ते सिलाका नउ काढणहार। ताहरी बिहुं ऊपरि सरिखी मनि नी वृत्ति । २७. एक छव मासी नव । चउमासी। बि त्रिमासी। छ बिमासी। बारह एक मासी भगवंत तइ तप कीधा । कीधा ७२ पक्ष । २ दऊढ मासी। २ अढाई मासी वली कीधा भगवंत इ। २८. बि दिन प्रमाण भद्र प्रतिमा। चार दिन प्र० महाभद्र प्र० न प्रतिमा सर्वतो भद्र प्र० चिहुं ही दिसे च्यार २ प्रहर काउसग्ग। चिहुं ही दिसे एक २ अहोरात्र काउसग्ग २ । दश दि दसे एक अहोरात्रि काउ० करत उ हयउ निरंतर । त्रिण दिन प्रमाण एक रात्रिकी प्रतिमा बारइ कीधी अष्टम नइ अंत इ । अंत्य रात्रि काउसग्ग कीजइ । २९. पांचे दिने ऊणउ ६ मासी एक चंदना अभिग्रह पूरघउ ते मास खमण कोसंबी नगरी नह विषय करत उ हुयउ तुं । वि सयए गुणत्तीस २२९ करत उ हुयउ तुं छठें तप । ३०. एके दिन ऊणसाढा त्रिण सय ३४९ पारणा सर्व पहिल उ दीक्षा नउ दिन इम गणतां तेरे पक्षे अधिक बारस वरस नइ छेहड इ । तुं नइ । ३१. जंभिका नाम नगरी नइ बाहरि ऋजुवालिका नाम नदी नइ तीरि वइसाख सुदि दसम नइ त्रीज इ प्रहरि । छठे इ उकुडु आसन इ बइठां केवलज्ञान उपनुं साल नाम रुख नइ तलं इ। ३२. देवता ए कीधो जे समोसरण तिहां बइसी नइ हे ईस। एकल्या आचार करी नइ धर्म कथा निश्चय अद्देर उ जाणी नइ । वर प्रधान देश विरति सर्व विरत करी अभावितो पर्षदा। ३३. घणी देवता नी कोडि करी सहित । रात्रि नइ विषय बारे जोयणे ४८ कोसे पापा नाय नगरी प्रति जाई नइ महसेन नाम वन इ चतुर्विध संघ स्थाप तउ हुययउ। सन २३, अंक २ २६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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