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________________ ३४. गौतमादिक १४ हजार साधु थया। चंदन प्रमुख ३६ हजार साधवी हुईजा। संख पुखली प्रमुख एक लाख उगणसठ्ठि हजार श्रावक । सुलसा रेवती प्रमुख ३ लाख, १८ हजार श्रविका। ३५. चउद १४ पूर्वी त्रिण सय वादी च्यार सय । मनः पर्याय ज्ञानी पांच सय ३ ३,४,५, शत सय । सात सय उ केवल ज्ञानी। वैक्रिय लब्धि ना धरणहार पणि उ सय ताइ। ३६. पांच जम कहतां व्रत रूप धर्म ना देशक । गौतमादि ११ गणधर नव गच्छ ताह रइ हूया । तेरइ सय अवधिज्ञान ११३ । अट्ठासय साधु अनुत्तरगति गया। ३७. दानांतराय १ लाभांतराय ३ वीर्या० ३ भोगा० ४ उपभोग० ५ हास्य १ रति २ अरति ३ शोक ४ भय ५ जुगुप्सा ६ मिथ्यात्व अविरति अज्ञान अठारह दोष राग द्वेष निद्रा कंदर्प । ३८. एम गया छइ अठार दोष रूप दाह जेह थी। चउतीस अतिशय सहिता पइंत्रीस वचनातिशय तिए करी। सेख अच्छाह लच्छ मधी जयवंतो वर्ति हे नाथ । ३९. नही । हुणहार वात नउ नास । जे भणी गोसाल उ तुं नइ पणि त्रिभुवन स्वामी प्रति । आक्रोस करत उ हुयउ तुं प्रतिखेद भगवंतो आगइ। सर्वानुभूति अनइ-सुनक्षत्र मोटा ऋषि प्रति वालते उ हयउ । ४०. जिहां वास उ वसइ महांत क्षण एक सी तेह नइ म । सत्ये करइ कृतार्थ निहाल ते भणी। निश्चय ऋषभदत्त ब्राह्मण नइ देवाणंदा ब्राह्मणी पहुंचाउ तउ मोक्ष प्रतइ हयंउ। ४१. श्रेणिक नाम राजा सिद्धायका देवी मातंग यक्ष ती ए कीधी छइ सेवा जेहनी। जीवादि नवतत्व नी सात भंगा प्ररूपित उ हुयउ केवलम । १३ पक्षे ऊणांत्रीस वरसां सीम। ४२. मध्यम पापा नगरी नइ विषय हस्तिपाल राजा नी दांन नी मांड ही नइ विषय । पद्मासन इ बइठां श्री पार्श्वनाथ थी अढीसय २५० वरसे गए थके। ४३. काती नी अमावस नइ विषय। प्रभात समय छठ तप इ स्वाति नाम नक्षत्र चंद्रमा योग वर्ततां। एकला बहुत्तरि वरस आउ छइ जेह न उ तुं मोक्ष इ पहुतउ। ४४. इण परि हे महावीर रूप सूर्य ! तुं प्रति मोहरूप अंधकार नउ गमावणहार भव्यजीव रूप कमल न उ विकासन तेहनी सोभा नउ करणहार। दूषणना समूह नउ उच्छेदणहार (सूर्य पक्षे चंद्रनउ निवास कारक) स्तवी नइ जे पुण्यानुबंधियउ पुण्य पाम्यउ छु हु कांई ते भणी हुइज्यो। हे जिन वाल्हउ मुंनइ सदा पादप्रणाम ताहर उ । इति महावीर चरित्रं समाप्तं २६८ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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