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________________ विक्रम संवत् : ३६ ईसवी पूर्व D चन्द्रकान्त बाली "ज्योतिषियों का संवत् शककाल के ५८७ वर्ष पश्चात् आरंभ होता है । ब्रह्मगुप्तकृत खण्डखाद्यक – जो मुसलमानों में अल् अर्कन्द नाम से प्रसिद्ध है -- इसी संवत् पर अवलंबित है । " -- अबूरिहां अल्बैरूनी प्रकृत लेखक का यह निश्चित मत है कि भारत-संग्राम ३१४८ ई० पू० में हुआ था । उसका आकलन यह भी है कि आचार्य वराहमिहिर के कथनानुसार, भारतसंग्राम से २५२६ वर्ष पश्चात्, अर्थात् ६२२ ई०पू० से प्राचीन शककाल स्थापित हुआ था । परन्तु अपने एक कठोरधर्मा आलोचक ने हमारी इन दोनों स्थापनाओं को निरस्त करते हुए कहा है कि- " ३१४८ ई० पू० का संग्रामकाल सिद्ध नहीं, अभी साध्य कोटि का है । विद्वज्जनों ने उस पर प्रश्न चिह्न लटका रखा है । ३१३७ ई० पू० से २५२६ वर्ष बाद ६१९ ई० पू० का समय वृद्ध गर्ग का रचनाकाल है । " हम कभी अपने कठोरधर्मा आलोचक की मनमानी टिप्पणियों से विचलित नहीं हुए, प्रत्युत् अक्षय उत्साह से प्रेरित होकर अपने अनुसंधान - मार्ग पर चलते रहते हैं । हमें कदम-ब-कदम सफलताएं भी मिल रही हैं। इसी संदर्भ में हमारी एक उपलब्धि अधुना प्रासंगिक है हम गत १५ वर्षों से निरन्तर यह घोषणा कर रहे हैं कि ५८ ई० पू० से चलने वाला 'विक्रम संवत्' अपने आप में इकलौता विक्रम संवत् नहीं है, बल्कि उससे पूर्व और पश्चात् चलने वाले विक्रम संवत् भी विचाराधीन हैं । पूर्ववर्ती विक्रम संवत् ११६ ई० पू० का है; परवर्ती विक्रम संवत् ३६ / ३५ ई० पू० का है । वही विक्रम संवत् इस निबंध का प्रतिपाद्य विषय है । कृत संवत् प्रस्तुत 'विक्रम संवत्' का नाम शुरू-शुरू में 'कृत संवत्' नाम चरितार्थ हुआ । 'कृत संवत्' का क्या अर्थ है ? इसे ठीक ढंग से न समझ कर कुछ एक काल-विद् पंडितों ने अपनी-अपनी 'पतंगें' उड़ाई हैं । उज्जयिनी के प्रसिद्ध पंडित सूर्यनारायण व्यास ने 'कृत' का संबंध कार्तवीर्य से जोड़ते हुए विक्रमादित्य को पुराण- प्रसिद्ध राष्ट्र - वंशधरों से जोड़ा है । ठीक इसी तरह पंजाब के ख्यातनामा पं० भगवद्दत्त ने खण्ड २२, अंक ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only ५ www.jainelibrary.org
SR No.524589
Book TitleTulsi Prajna 1996 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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