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________________ , ९. जण काग्वे/.................. पाइहि पाहंसिया निरूचागा ।' लोणवि आनिकु नाड़ी आगा । गोल्लेउ चढ़ि अऊ ऊचि देसु ।' आनिक तह चावा वेसु॥ चातलु भण हुणि त(--)मेड़ि झांकइ ।' १०. ते आपुली गम्वारिम्ब आंख/इ ।। ........."तरूणि ग्वमाड़ी। पा भली को नाउ अकाड़ी ।। (ए) कवि अइसी राउल सोही। देखत तांही मयणुव मोही ॥०॥xuxil एहु कानोडउ काइं राउ झाखइ ।' , ११. वेसु अम्हाणउ नाजउ देख/इ ।। अउंडउ जो राउल सोहइ । एइनउ सोएउ कोक्कु न मोहइ ।। ढहरउ आंखिहि काजलु दीनउ । जो जाणइ सो थइनउ वानउ ।। करडिम्ब अनु कांचडिअउ कानहिं ।' ,, १२. काइं करेवउ सोहहि आ/नहिं ॥ गलइ पलुकी (भावइ) कांठी । कासुतणी . सोहरइ न (दिट्ठी) । लावझ लांवउ कांचू रातउ । कोकुन देखतु करइउ मातउ ।। १. पाहसिया पैरों का आभूषण २. चि देस-देखिये--कुव० ६५.१--'तीएय णयरीए पच्छिम दक्खिणे दिसाभाए उच्चस्थलं णाम गामं ।' गोल्लेउ कूव० , ---'अड्डे त्ति उल्लवंते अपेच्छइ गोल्लए तत्थ ।' ३. मेडि= कुव० १८६.१२ --मेढ़ी-पशु बंधन काष्ठ ४. काई सावयधम्मदोहा (देवसेन) में 'काई'- शब्द प्रयोग'कार्ड बहुत्तई जंपियइं जं अप्पहु पडिकूलु । काई मि परहण तं करहि एहु जु धम्महु मूलु ॥' कानोडउ= , -कुवलममाला-'अडि पांडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाइए अण्णे ॥२८॥ ५. करडिम्ब कानों में लटका कर पहना जाने वाला आभूषण । ६. पलुकी='पुलअ'= रत्न विशेष से बना आभूषण ७. लावझलांवज (खसखस तृण) से बना वस्त्र, देखिये-देशी० ७.२१ तुलसी प्रमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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