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४. अहिआ = विअइल
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५. डालाव (इ) ६. ( थीवलि) इ =,, ७. कटकचि=
• / हुं वेस न ( आवइ ) ॥
विणु आहरणें जो पय्यह साह । आनव ना तह मोहिउ (वाह ) ॥ अइसी बेटिया जा घरू आवइ ।
ताहि कि तुलिम्व काउ पावइ ||०|| ४ ॥ ४ ॥
(२)
१. आहरणें = देखिये - श्राद्धप्रति० १२
आहरण — आभूषण ।
=
२. गाहा कि = - सूअनि १.१६ -गाहीकिय - गाधीकृत ।
३. लागिम्ब=
खण्ड २२, अंक २
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/ छहि गाहा कि ( - ) देखसि ।। ' चल अहि वावलि अहिज चागिम्ब । ते वानतु (चाली एहिज ) लागिम्व ॥ (के) अहिआ तुज विअइल अछउ ताउकि
तेहचे
फूल्ले । *
बोले ॥
''
(इ) ।'
• / काचुवो डालाव ( थीवलि) ह पडिव नहचि जं रेख । " ते चीन्तव तह आनिकउ वेख ||
(कट) कचि कांठी कांठिहि लाकहची दिठि मावि आगिहि ला
""
– सेतु० १५.७५ – लाइअव्व – जोड़ना । - गा० ३८ – अहिआअ - कुलीन ।
—- हे० १.१६६ – विअइल – पुष्पवृक्ष |
- चुपइफागु - ५३ – 'गमे गमे दादर डोलवइ' । -- मोहनीफागु० ९ - 'उरिओ थीवलि तीणि' । ,, – कुव० १४.२९; ३०.३०
कटक - अलंकरण ।
सोहइ ।" खोहइ ||
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ड़ी ॥
पड़िह/
ली म
(आ) निकु वानू जो एथु वेढा ॥
ग(ङ्ढ़ा) ।
थड्ढ़ा ।।
आविलु काछड़ा दढ़ आनिकु जीवणुउ ( रूरू) हाथिह रीठे ऊजल लान्ह | जो पुड़ि तागे आविलु साह || "पाटी गाढी ।
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