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________________ ३८ म ५२४. मंढी एक र मोडा घणा । ५२५. मंहगो रोवं एक बार संगो रोवे बारबार । ५२६. मकोडो कह मां ? मैं गुड की भेली उठा ल्याउ कडतु कानी देख । ५२७. मत मरज्यो बालक की मावडी र मत मरज्यो बूढ़े की जोय । ५२८. मन में भाव मूंडो हिलावे । ५२९. मन बिना मेल नहीं, बाड बिना बेल नहीं । ५३०. मरतां किसा गाडा जुपे हैं । ५३१. मरद को जोबन साठ वर्ष को जे घर में होय समाई नार को जोबन तीस वर्ष हर बैल को जोबन ढाई वर्ष । ५३२. मरद तो जवान बंको कूख बंकी गोरिया सुरुहल तो दुधार बंकी तेज बंकी घोड़ियां । ५३३. मरे पूत की आंख कचौले जैसी । ५३४. मांग्यां तो मौतई कोनी आवे मिले । ५३५. मांग्यो आवै माल जांक कांई कमी रे लाल । ५३६. मानका को मुठी भुंगडा ही घणा - मांन बडा के दान | ५३७. मा, न मा, को जायो देसडलो परायो । ५३८. माने तो देव नहीं भींत को लेव । ५३९. मा बाप मरग्या अँई घर की करग्या । ५४०. मा मरी आधी रात, बाप मरयो प्रभात । ५४१. मामा को ब्याह अर मा परोसकारी । ५४२. मा ! मामा किसाक ? बेटा मेराई भाई । ५४३. माया मिलगी सूमने ना खरचं न खाय । ५४४. मार के आगे भूत भागे । ५४५. मारणो उदरो खोदणो डूंगर । ५४६. मिनख को के बड़ो पीसो बड़ो है । ५४७. मिनख हजार वर्ष की नींव बांधे भरोसो पलक कोई कोन्या । ५४८. मियां की दोड महजीत तांई । ५४९. मियां ने सलाम की खातर क्यूं रुसायो । ५५०. मिया रोवो क्यूं के बंदाकी सकल ही इसी है । ५५१. मियां बीबी दो जणा क्यूं खावै वे जो चणा । ५५२. मिल मुफ्त रो माल सांड रेवं सोरो । ५५३. मीडका ने तिरणं कुण सिखावे । ५४४. मुंह टोकसी सो नांव सरुपली । ५५५. मुंह सुई सो पेट कुई सो । ५५६. मुंह सो निकल ज्याय सो भाग धणी का । Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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