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________________ ३६ ४५८. बातां री बाणियूँ गीतां से रजपूत । ब्रामण री लाडुवा बाकल री भूत । ४५९. बाद तो रावण काइ कोनी चाल्या । ४६०. बाप के धन सीत को बेटी ने देसी रीत को । ४६१. बाप को मारयो मां ने पुकारे पण मां मारे कीन पुकारे । ४६२. बाबाजी को बाबा तरकारी को तरकारी । ४६३. बाबाजी थारा ही चरणों को परसाद है । ४६४. बाबो आवं न ताली बाजे | ४६५. बाबो मरयो टीमली जाई रहया तीन का तीन । ४६६. बाबो सेनं लड़े बाबा नै कुण लर्ड । ४६७. बाबा सौर्व ई घर घर में टांग पसारै ऊ घर में । ४६८. बामण तो हथलेवो जुडावण को गरजी है । ४६९. बामण नाई कुकरो जात देख घुर्राय कायथ कागी कुकडो जात देख हरसाय | ४७०. बामण हाथी चढो भी मांगे । ४७१. बार गांव की छोरी लाडू बिना दोरी । ४७२. बारह बरस से बांझ ब्याई पूत ल्याई पांगलो । ४७३. बावली '२' भूतां खदेडी । ४७४. बावलो अर भांग पीली । ४७५. बिंदरा वन में रहसी सो राधे गोविंद कहसी । ४७६. बिना ताल तमूरो कोनी बाजै । ४७७. बिना बाप को छोरो बिगड़े, बिना माय की छोरी । ४७८. बिना मन का पावणां थाने घी घालूं के तेल । ४७९. बिना लूण का रांधे साग बिना पेच का बांध पाग बिना कण्ठ का गाठी राग न साग न पाप न राग ? ४८०. बिलाई को मन मलाई में । ४८१. बिल्ली ने कदे मंगल गाता देख्या ना । ४८२. बीगडोड़ा तीवण कोनी सुधरे । ४८३. बीन के मुंडे ही लाल पडै जद जनेती के करें । ४८४. बीन मरो भाग बीनणी बामण को टको त्यार । ४८५. बेटियां की मां राणी भरे बुढापे पाणी । ४८६. बेटी रुसी सासरं जावण ने बेटो रुसं न्यारो होणने । ४८७. बैठ तो बाणियो अर उठती मालण सस्तो बेचे । ४८८. बैद की स्त्री किसी रांड होय ना । ४८९. बैम की दारु कोनी । ४९०. बोखी अर भूगंडा चाबे । Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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