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________________ ४२९. फाटै ने सीमेना रुसी ने मनावेंना । ४३०. फाटी घाघरी रेशम को नाडो । ४३१. फाडणियै ने सीमाणियो कोनी नावडे । ४३२. फिर सो चरं बन्ध्यो भूखां मरं । ४३३. फूटां भाग फकीर का भरी चिलम दुल ज्याय । ४३४. फूहड के घर हुई कुंवाडी कुत्ता मिल चाल्या रेवाडी काणे कुत्ते लीन्यासूण करातोली पण ढ़कसी कूण । ४३५. बंधी भारी लाख की खुल्ली बिखर जाय । ४३६. बंधी मुठी लाख की खुल्ली मुठी राख की । ४३७. बकरी छोड्यो ढाक ऊंट छोड्यो आक । ४३८. बकरी दूध तो दे पण दे मींगणी करके । ४३९. बकरी रोगे जीव नै, कसाई रोगे मांस ने । ४४०. बकरे की मां कद तांई खेर मनावै । है ४४१. बगल में सोटो नाम गरीबदास | ब ४४२. बड़का जीता तो फौज भेली हो ज्याती । ४४३. बड़े लोगां के कान होय । ४४४. बडो बडकलू बाणियूं कांसी और कसार । ताता ही तोडिये ठंडा करें बिकार | ४४५. बलद ब्याने तो कोनी बूढा तो होय | ४४६. बाऊ तीतर बाऊ स्थाल बाऊ खर बोले अरराल बाऊ घू घू घमका करें तो लंका को राज विभीषण करें । ४४७. बांझडी के जाने जाने की पीडा । ४४८. बांध्यां तो बलद इ को रेौ ना । ४४९. बांस चढी नटणी कहै, हुयां न नटियो कोय मैं नट के नटणी हुई नटै सो नटणी होय । ४५०. बाई सोवणी तो घणी ई पण आंख में फूलो । ४५१. बाछडो खूंटे के पाण कूर्द बाजे अबला पण छंर सबला । ४५२. बाजे टाबर खाय बराबर । ४५३. बाजे पर तान आगे, बाड के सहारे दूब बौ । ४५४, बाड खेत ने खाय-राजा डंडे रीत ने रोगे किण ढिग जाय, बाड लगाई खेत न बाड खेत न खाय । ४५५. बाणि तो आट में दे के खाट में दे । ४५६. बाणियो खाट में तो ब्राह्मण ठाठ में । ४५७. बात में हुंकारो फौज में नगारो । खंड २२, अंक २ Jain Education International For Private & Personal Use Only ३५ www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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