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________________ ३९६. नारी नर की खाण । ३९७. नाहर ने रजपूत ने रेकारे री गाल । ३९८. नकासी के बखत घोडो चाय के फिरतो सो आजे : ३९९. नीची करयो कांधो देखण हालो आंधो। ४००. नीत गैल बरकत न है नेकी बदी साथ चले। ४०१. नेम निमाणा धर्म ठिकाणा। ४.२. नोकर खाय ठोकर । ४०३. नोकर मालिक का हां कौ पैगण का । ४०४. नो सौ मूसा मारकर बिल्ली गंगाजी चाली। ४०५. न्यारा घरां का न्यारा बारणा । ४०६. पंचा की बात सिर माथे पर नालो अठी करई भवगो। ४०७ पगा पांगली नाम कुदकी। ४०८. पग कादै में अर जाजम ौठवादे। ... ४०९. पगा में लीतरा कंधे पर दुपट्टो। ४१०. पगां से गांठ दियोडी हाथा से कोनी खुले । ४११. पराई थाली में घी घणो दीखे । ४१२. पहली पेट पूजा फैर काम दुजा । ४१३. पांच पंच छठो पटवारी, खुलाश चुसवानारी घिरतो फिरतो दातण करै जैकां पाप से कीड़ा मरे । ४१४. पांच सातकी लाकड़ी एक जणै को भारो। ४१५. पांच आंगली एकसी कोनी होय ।। ४१६. पांचू भाई पांच ठोड मोको आयो एक ठोड । ४१७. पांव उभाणे जायती कोडी धन कंगाल । ४१८. पाणी पीवं छाण सगपण कीजै जाण। ४१९. पानी पाला पातसा उतर सू आवै । ४२०. पाप की पाण आये बिना कोनी रेवै । ४२१. पाप को घडो भर कर फूट । ४२२. पापी को धन परलै जाय । ४२३. पाव चून चौबारे रखोई । ४२४. पीसें की खीर है। ४२५. पूत का पग पालणे ही दिखाने । ४२६ पेट के दर्द को माथा ने के बेरो। ४२७. पैरण नै घाघरोइ कोन्या नाव सिणगारी । , ४२५. फागण में सी चौगुणी जे चालेगी बाय। तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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