SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६४. धन दायजा बहगा, छाती कूठा रहगा। ३६५. धनंवता कांटो लग्यो, सहाय करी सब कोय, निरधन पड्यो पहाड़ सूं बात न पूछी कोय । ३६६. धरम की जड़ सदा हरी। ३६७. धान पुराणा धृत नया यूं कुलवंती नार चौथी पीठ तुंरग की सुरग निशानी चार । ३६८. धाया तेरी छाराबडी तेरे गंडकडा से तो राख । ३६९. धायो अमीर, भूखो फकीर, मरयां पाछै पीर । ३७०. धूल खाया किसो पेट भरे। ३७१. धोती में सब उघाड़ा है। ३७२. धोबण से के तेलण घाट वं के मोगरी इके लाठ। ३७३. धोबी को गधो स्वामी की गाय राजा को नौकर तीनू गतां सू जाय । ३७४. धोले पर दाग लागे। ३७५. नंदी परलो रूखड़ो जद कद होत बिणास । ३७६. नई नो दिन पुराणी सो दिन । ३७७. नकटा नाक कटी, कह मेरी तो सवागज वधी। ३७८. नगद नाणा बीन परणे काणा । ३७९. नगारा में तूती की आवाज कुण सुणे ? ३८०. नर में नाई आगलो पंखेरू में काग पाणी मांलो काछबो तीन दगा बाज। ३८१. नष्ट देव की भ्रष्ट पूजा । ३८२. नांव गंगाधर, न्हाने कोनी उमर भर । ३८३. नांव धापली फिरे टुकड़ा मांगती। ३८४. नांव मोटा घर में टोटा, नाम लिछमीधर कन्नै कोनी छिदाम ही। ३८५. नाम विद्याधर, आवै कोनी कक्को ही। ३८६. नाम हजारीलाल घाटो ग्यार से को। ३८७. नाई दाई वेद कषाई इण को सूतक कदै न जाई। ३८८. नाई हालो ढोलो बाणियो हालो टक्को। ३८९. नागा को लाय में केबल । ३९०. नागी के धोवे के नीचोवे । । ३९१. नागी बूचो सै सै ऊचो। ३९२. नाचण ही लागी जद चूंघट क्यां को। ३९३ नापे सौ गज फाड़े कोन्याए एक गज । ३९४. नामी चोर मारयो जाए नामी साह कमार खाय । ३९५. नायां की जनेत में सबई ठाकर। खण्ड २२, अंक २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy