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________________ ३२ ३३४. थोथो संख पराई फूंक से बाजै । द ३३५. दसां डावडो, बीसां बाबलो तीसा तीखो चालिसा चोखो पचांसा पाकी साठो थाको सत्तरा सुलो, अस्सीया लूलो, नब्बीया नागो सोवा तो भागो ही भागो । ३३६. दांतला खसम को रोवता को बैरो पटै न हंसता को । ३३७. दाई से पेट छानो कोनी | ३३८. दाता से सूम भलो जो जट पर उत्तर दे । ३३९. दादू दुबारा में कांगसिया को के काम । ३४०. दादो घी खायो म्हांरी हथेली सूंघल्यो । -३४१. दाणे - दाणे मोर छाप है । ३४२. दाल भात लम्बा जीकारां ए बाई परताप तुम्हारा । ३४३. दिन करे सो बेरी कोन्या करे । ३४४. दिनूगे को भूल्योडो संज्या घरां आजाय तो भूल्योडो कोनी बाजे । ३४५. दिन दीखे न फूड पीसे । ३४६. दिलां का दिल साई दार है । ३४७ दुनिया में दो गरीब है के बेटी के बैल | ३४८. दूजवर की गोरडी हाथां परली मोरडी दग्गड दगड खाऊंगी बोलेगे तो मारूंगी मर जाऊंगी । ३४९. दूद दयां का पावणा छाछ ने अलखामणा । ३५०. दूध पीती बिलाई गंडकडा में जा पडी । ३५१. दूध हालीरा लात बी सहणी पडे । ३५२. दुबले पर दोल दे । ३५३. दूर जंवाई फूल बरोबर, गांव जंवाई आधो, घर जंवाई गधे बरोबर चाये जितणो लादो । ३५४. देख पराई चोपडी पडमर बेईमान दो घड़ी की सरमा-सरमी आठ पहर आराम । ३५५. देखां देखी साधे जोग छीजे काया बाधे रोग | ३५६. देख्यो नहि जैपरियो कुल में आकर के करियो । ३५७. देणूं अर मरणो बराबर है । ३५८. देर पाडां आसीस मैं के देऊ मेरी आत्मा ही देसी । ३५९. दो तो खून का भी बुरा । ३६०. दोनू हाथ मिलायां ही धुपं । ३६१. दोय- दोय गयंदन बधसी एकै कंबुठाण । ३६२. दो लड़े जठे एक पडे । ३६३. दो सावण दो भादवा दो भादवा दो कार्तिक दो मा ढांडी ढोरी बेचकर नाज बिसाण जा । Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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