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३०५. टाबरा की टोली बुरी घर में नार बोली बुरी। ३०६. टुकडा दे दे बछडा पाल्या, सींग हुआ जद मारण चाल्या । ३०७. टूट गई डाली उड गयो मोर धी मरी जंवाई चोर । ३०८. टूटते आकाश के बलो कोनी लागे। ३०९. टूटी की बूटी कोनी।। ३१०. टूटी नाड बुढ़ापो आयो टूटी खाट दलिद्दर छायो ।
३११. ठठेरै की बिल्ली खुडकां से कोनी डरै । ३१२. ठाकुर आयाए ठुकरानी चुलौ आग न पंडे पानी । ३१३. ठाकर तो कूलौ मांडोडोवी बुरा।। ३१४. ठाकरां धोला आयगा और भागो हो कह भाग भाग कर तो धोला लिया
है नहीं तो काणा ने हिं ता काला में ही मार गेरता । ३१५. ठार्ड को डोको डांग ने फाडै ।।
३१६. डाकण अर जरख चढ़ी। ३१७. डाकण बेटा ले क दे । ३१८. डाकणा के ब्यांवा में नूता रां गटका । ३१९. डिगमरां में गांव में धोबी को के काम । ३२०. डूगरा ने छाया कोनी होय ।
३२१. ढ़बो खेती ढ़बा न्याव । ३२२ ढल्यो घाटी हुवो मांटी।
३२३. तरवार को घाव भरज्या बात को कोनी भरै। ३२४. तल तो हूं पर उपर टांग मेरी है। ३२५. तनै चढ़े नै धाड खाय । ३२६. तातो खाने छाया सोने के नैद बिछोकड रौवे । ३२७. तिरिया चरित न जाणे कोय खसम मार के सती होय । ३२८. तीन बुलाया तेरा आया भई राम की बाणी राधो चैतन यं कहै धो
दाल में पाणी। ३२९. तूं भी राणी मैं भी राणी कुण भरे पंडे को पाणी । ३३०. तेरे ल्होडिय ने न्यूतो है कह मेरे तो सगला ही ढाई सेरीया है । ३३१. तेल बलौ बाती बले, नांव दियो को होय बेटा तो गौरी जणे नाम पिये
का होय । ३३२. तेली सू खल उतरी हुई बलीते जोग।
३३३. थोथो चीणो बाजै घणो।
खण्ड २२, अंक २
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